यमन में कूटनीतिक प्रयास सफल, नर्स निमिषा प्रिया को मिली ज़िंदगी

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की यमन में मौत की सजा रद्द हो गई है। इस संबंध में ग्रैंड मुफ्ती कार्यालय ने जानकारी दी है हालांकि यमन सरकार से लिखित पुष्टि अभी आना बाकी है।;

Update: 2025-07-29 01:12 GMT

भारतीय नागरिक और केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को यमन में सुनाई गई मौत की सजा अब रद्द कर दी गई है। यह जानकारी भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के कार्यालय द्वारा एक आधिकारिक बयान जारी कर दी गई। हालांकि बयान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यमन सरकार से अभी तक इस फैसले की आधिकारिक लिखित पुष्टि प्राप्त नहीं हुई है।

ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय के अनुसार, यह निर्णय यमन की राजधानी सना में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। बयान में कहा गया कि, "निमिषा प्रिया की वह सजा जिसे पहले केवल स्थगित किया गया था, अब पूरी तरह से रद्द कर दी गई है। यह खबर भारत में उनके परिजनों और मानवाधिकार संगठनों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है।

कौन हैं निमिषा प्रिया और क्या है पूरा मामला?

34 वर्षीय निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले से ताल्लुक रखती हैं और एक ईसाई परिवार की सदस्य हैं। वह वर्ष 2008 में नौकरी की तलाश में यमन गई थीं। यमन की राजधानी सना में उनकी मुलाकात स्थानीय नागरिक तालाल अब्दो महदी से हुई, जिसके साथ उन्होंने साझेदारी में एक क्लिनिक शुरू किया।

कुछ समय बाद दोनों के रिश्तों में खटास आ गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महदी ने निमिषा का उत्पीड़न करना शुरू कर दिया और सार्वजनिक रूप से उसे अपनी पत्नी बताने लगा। इतना ही नहीं, उसने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया, ताकि वह भारत लौट न सके।

 हत्या और गिरफ्तारी की घटनाक्रम

यमन प्रशासन के मुताबिक, वर्ष 2017 में निमिषा ने कथित रूप से महदी को बेहोश करने की कोशिश की, ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस ले सके। लेकिन यह प्रयास घातक साबित हुआ। महदी की संभवतः ओवरडोज़ से मौत हो गई। इसके बाद निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया।

मार्च 2018 में उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया और 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। इसके बाद यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया। कई मानवाधिकार संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और भारतीय प्रवासी समूह उनकी सजा के खिलाफ मुखर हो उठे।

 फांसी को लेकर गहराया संकट

स्थिति तब और चिंताजनक हो गई जब दिसंबर 2024 में यमन के राष्ट्रपति रशाद अल-आलीमी ने निमिषा की फांसी को मंजूरी दे दी। जनवरी 2025 में हूती विद्रोही नेता महदी अल-मशात ने भी इस निर्णय पर अपनी औपचारिक मुहर लगा दी।

इन घटनाओं के बाद भारत में धार्मिक, कूटनीतिक और सामाजिक स्तर पर दबाव और तेजी से बढ़ा। प्रवासी भारतीय समुदाय, मानवाधिकार संगठनों, और धार्मिक नेतृत्व ने इसके खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई।

 कूटनीति और दुआओं ने बदला फैसला

अब ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय की ओर से जानकारी दी गई है कि यमन में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद निमिषा प्रिया की मौत की सजा को पूर्ण रूप से रद्द कर दिया गया है। यह भारत के धार्मिक और कूटनीतिक प्रयासों की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।फिलहाल सभी की निगाहें यमन सरकार की ओर टिकी हैं, जहां से इस फैसले की आधिकारिक लिखित पुष्टि का इंतजार किया जा रहा है।

Tags:    

Similar News