कांग्रेस का SEBI प्रमुख पर नया आरोप, जाँच के दायरे में घिरी कंपनी को किराय पर दी संपत्ति

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने एक ऐसी कंपनी को संपत्ति किराय पर दी, जिसके खिलाफ SEBI में जाँच चल रही है. उस संपत्ति का किराया 6 सालों में 600 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है.

Update: 2024-09-06 09:34 GMT

Congress on SEBI Chairperson: कांग्रेस ने सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ पूरी तरह से मोर्चा खोल दिया है. लगभग रोज ही कांग्रेस माधबी पुरी बुच के खिलाफ कोई न कोई नया खुलासा कर रही है. इसी क्रम में कांग्रेस ने शुक्रवार को बुच के खिलाफ नया खुलासा किया है. पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दावा किया है कि सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने अपनी एक संपत्ति मुंबई की एक ऐसी कंपनी को किराए पर दी हुई है, जिसका तालुक एक ऐसी फर्म से है, जो SEBI की जांच के दायरे में है.


कांग्रेस का दावा 6 साल में 6 गुना बढ़ाया संपत्ति का किराया
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने दावा किया है कि माधबी पुरी बुच ने जो संपत्ति किराये पर दी है उसका किराया पिछले 6 साल में लगभग 6 गुना बढ़ा दिया गया है. पवन खेड़ा ने दावा किया कि माधबी पुरी बुच वर्ष 2018-19 में जब SEBI की पूर्ण कालिक सदस्य थीं, तो उन्होंने अपनी एक संपत्ति 7 लाख रूपये के हिसाब से किराये पर दी थी. ये संपत्ति कैरोल इन्फो लिमिटेड को किराये पर दी गयी थी, गौर करने वाली बात ये है कि ये कंपनी वाकहार्ट लिमिटेड नामक कंपनी के अंतर्गत आती है. SEBI वाकहार्ट लिमिटेड के खिलाफ जाँच कर रहा है.
जो किराया 7 लाख रूपये था, वो साल 2019-20 में बढ़कर 36 लाख हो गया और इसके बाद 2023-24 में बढ़कर 46 लाख रुपये हो गया.
अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्या है जो इस कंपनी ने उस संपत्ति का किराया इतना ज्यादा देना मंजूर किया, हिसाब लगाया जाए तो किराया 600% से ज्यादा हो गया.

इनसाइडर ट्रेडिंग का है मामला
कांग्रेस का कहना है कि SEBI के पास वॉकहार्ट के खिलाफ इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप हैं, जिसकी जाँच चल रही है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जिस कम्पनी के खिलाफ जाँच चल रही है, उसी कंपनी से जुड़ी कंपनी को माधबी पुरी बुच अपनी संपत्ति किराये पर देती हैं और उसके बदले में मोटा किराया वसूला जाता है. ये सिर्फ हितों का टकराव नहीं है, बल्कि पूरी तरह से भ्रष्टाचार का मामला है. जवाब दें कि क्या ये एथिकल है. क्या ये कानूनी है?


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