एयर इंडिया फ्लाइट हादसा: बोइंग की सुरक्षा पर फिर उठे सवाल

बोइंग को सुरक्षा से ज़्यादा मुनाफ़े को प्राथमिकता देने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। हालांकि, ड्रीमलाइनर का अब तक का रिकॉर्ड मज़बूत रहा है। लेकिन दुर्घटना ने सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।;

Update: 2025-06-14 16:03 GMT

12 जून को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 क्रैश हो गई। यह विमान लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रहा था। हादसे में 241 यात्रियों और चालक दल के साथ कुल 265 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से कई जमीन पर मौजूद लोग भी शामिल थे। इस हादसे ने बोइंग की मशहूर ड्रीमलाइनर सीरीज़ को एक बार फिर जांच के घेरे में ला दिया है।

क्या हुआ उड़ान के दौरान?

एविएशन सेफ्टी कंसल्टेंट जॉन एम. कॉक्स ने एसोसिएटेड प्रेस से कहा, जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनसे लगता है कि विमान का नाक ऊपर की ओर उठा हुआ था। लेकिन वह नीचे गिर रहा था। इसका मतलब है कि विमान को पर्याप्त लिफ्ट नहीं मिल रही थी।

सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा करने वाले एक वाणिज्यिक पायलट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि दुर्घटना के समय विमान का लैंडिंग गियर नीचे था और फ्लैप्स पूरी तरह से पीछे खींचे गए थे, जबकि उस समय विमान केवल 600 फीट की ऊंचाई पर था। सामान्यतः टेक-ऑफ के समय फ्लैप्स खुले होने चाहिए, ताकि विमान को अतिरिक्त लिफ्ट मिल सके और लैंडिंग गियर कुछ ही सेकंड में ऊपर खींच लिया जाता है।

वीडियो से पूरी सच्चाई

चूंकि फुटेज की क्वालिटी कम थी और वीडियो दूर से लिया गया था, विशेषज्ञों ने अंतिम निष्कर्ष निकालने से इनकार किया है। वे मानते हैं कि जब तक ब्लैक बॉक्स से डेटा नहीं मिलता, तब तक सिर्फ थ्योरी ही दी जा सकती है। ब्लैक बॉक्स में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की जानकारी होती है, जो हादसे के असली कारण को उजागर कर सकती है।

इकलौते सर्वाइवर की गवाही

40 वर्षीय विश्वास कुमार रमेश, जो इमरजेंसी एक्ज़िट सीट 11A पर बैठे थे, हादसे के इकलौते जीवित बचे व्यक्ति हैं। उन्होंने बताया, “टक्कर तक कोई घबराहट नहीं थी।” इससे संकेत मिलता है कि शायद पायलट आखिरी पल तक स्थिति संभालने की कोशिश कर रहे थे।

इस बीच बोइंग के व्हिसलब्लोअर सैम सालेहपुर की 2024 की गवाही फिर चर्चा में है। उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस में दावा किया था कि बोइंग 787 विमानों के फ्यूज़लाज (ढांचे) के बीच ठीक से सीलिंग नहीं की गई थी, जिससे टेक-ऑफ जैसे हाई-स्ट्रेस हालात में विमान में स्ट्रक्चरल फेल्योर हो सकता है।

एरोडायनामिक स्टॉल और सेंसर फेल्योर की आशंका

एक एयरबस इंजीनियर ने बताया कि अगर विंग्स पर्याप्त लिफ्ट नहीं बना पातीं तो विमान स्टॉल में चला जाता है — यानी हवा में तैरना बंद कर देता है और गिरने लगता है। यह स्थिति तब आती है जब 'एंगल ऑफ अटैक' बहुत तेज हो जाता है और पंखों पर से हवा का प्रवाह टूट जाता है। सेंसर फेल्योर की वजह से कभी-कभी कंप्यूटर सिस्टम गलत डाटा पढ़ते हैं और गलत फैसले लेते हैं — ठीक उसी तरह जैसा बोइंग 737 MAX हादसों में हुआ था, जहां MCAS सिस्टम ने विमान का नाक जबरन नीचे झुका दिया था।

सेंसर डाटा की भूमिका

बोइंग 787 में MCAS सिस्टम नहीं होता। लेकिन इसमें "फ्लाई-बाय-वायर" इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है, जो पायलट के निर्देशों को सेंसर डाटा के आधार पर प्रोसेस करता है। अगर यह डाटा गलत हो तो सिस्टम गलत फैसले ले सकता है। US फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) पहले ही चेतावनी दे चुका है कि डाटा मॉनिटरिंग की गलतियों से घातक दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

समय और ऊंचाई बनी हादसे का कारण

हादसे के समय विमान सिर्फ 625 फीट की ऊंचाई पर था। FAA के अनुसार, स्टॉल रिकवरी ड्रिल कम से कम 1500 फीट पर की जानी चाहिए। क्योंकि कम ऊंचाई पर सुधार करना लगभग असंभव होता है। एक अध्ययन में पाया गया कि पायलट को अनअपेक्षित स्पीड फेल्योर जैसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने में औसतन 42.6 सेकंड लगते हैं। जबकि अहमदाबाद दुर्घटना में पूरा हादसा महज़ 71 सेकंड में हुआ — टेक-ऑफ से लेकर टक्कर तक।

जांच और बोइंग की पुरानी रणनीति

DGCA ने अब एयर इंडिया के सभी बोइंग 787 विमानों की जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि बोइंग ने कहा है कि वह “पीड़ित परिवारों के साथ है और जांच में सहयोग करेगा,” यह प्रतिक्रिया हूबहू वैसी ही है जैसी उसने 2018 में लायन एयर हादसे के बाद दी थी।

बोइंग पर यह आरोप भी है कि उसने पहले भी सुरक्षा मुद्दों को नजरअंदाज़ किया, सिस्टम की खामियों को छुपाया और फायदे के लिए पायलट ट्रेनिंग तक को टाल दिया। अमेरिकी न्याय विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, MCAS ट्रेनिंग को शामिल न करने से कंपनी ने प्रति विमान 1 मिलियन डॉलर बचाए। लेकिन 346 लोगों की जान गई।

अब ब्लैक बॉक्स से उम्मीद

ब्लैक बॉक्स मिल चुका है। लेकिन उसमें दर्ज जानकारी का विश्लेषण करने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं। तब तक हादसे का सही कारण अटकलों पर ही टिका रहेगा। इस हादसे ने फिर वही सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या यह त्रासदी रोकी जा सकती थी? क्या कोई सबक लिया जाएगा? जब तक बोइंग और एविएशन इंडस्ट्री सुरक्षा को मुनाफे पर प्राथमिकता नहीं देंगे, तब तक ऐसी घटनाएं रुकना मुश्किल हैं।

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