जीएसटी काउंसिल की बैठक शुरू, GST रेट्स में बड़ी कटौती की तैयारी, राज्यों ने मांगा मुआवजा
दो दिनों तक चलने वाली इस बैठक में जीएसटी स्लैब रेट को चार से घटाकर दो स्लैब करने को लेकर चर्चा होगी. अगले दो दिनों में परिषद् जीएसटी की दरों की संख्या घटाकर सिर्फ दो 5% और 18% करने पर विचार करेगी.;
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक शुरू हो चुकी है. इस बैठक में “नेक्स्ट-जेन जीएसटी” सुधारों पर चर्चा की जा रही है. इन सुधारों के तहत आम उपभोग की वस्तुओं पर जीएसटी रेट को घटाया जाएगा. टेक्सटाइल्स जैसे क्षेत्रों में ड्यूटी इनवर्ज़न हटाया जाएगा और एमएसएमई के लिए अनुपालन के बोझ को कम किया जाएगा. बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री के साथ राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं.
जीएसटी ढांचे में बदलाव की योजना
दो दिनों तक चलने वाली इस बैठक में जीएसटी स्लैब रेट को चार से घटाकर दो स्लैब करने को लेकर चर्चा होगी. अगले दो दिनों में परिषद् जीएसटी की दरों की संख्या घटाकर सिर्फ दो 5% और 18% करने पर विचार करेगी. इसमें 12% और 28% स्लैब को हटाने का प्रस्ताव है. साथ ही, तंबाकू और अति-लक्ज़री वस्तुओं जैसे चुनिंदा सामानों पर 40% विशेष कर लगाने का सुझाव दिया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस भाषण में जीएसटी सुधारों की योजना का ऐलान किया था. इसके तुरंत बाद केंद्र ने राज्यों के मंत्रियों के एक समूह (GoM) के साथ सुधार का प्रारूप साझा किया था. केंद्र की ओर से पेश किए गए व्यापक दर बदलाव प्रस्ताव के अनुसार, 12% श्रेणी के लगभग 99% सामान (जैसे मक्खन, फलों के रस और मेवे) को 5% टैक्स स्लैब में ला दिया जाएगा। इसी तरह, एसी, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान और सीमेंट जैसे उत्पादों को 28% से घटाकर 18% स्लैब में लाया जाएगा. केंद्र के अनुसार, आठ सेक्टर — वस्त्र, उर्वरक, नवीकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोबाइल, हस्तशिल्प, कृषि, स्वास्थ्य और बीमा — इस दर बदलाव से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे.
राजस्व क्षति की भरपाई की मांग
विपक्ष शासित राज्यों ने मांग की है कि दरों में बदलाव के बाद होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई सभी राज्यों को मिले. हालांकि, आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री पाय्यावुला केशव ने कहा कि उनका राज्य केंद्र के प्रस्ताव का समर्थन कर रहा है.
न्होंने कहा, “हम गठबंधन भागीदार के तौर पर जीएसटी दरों में तर्कसंगतता लाने के केंद्र के प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं। यह आम आदमी के हित में है.” आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) केंद्र की भाजपा-नीत एनडीए सरकार की सहयोगी है.
बुधवार सुबह परिषद् की बैठक से पहले, आठ विपक्ष शासित राज्यों — हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल — ने अपनी रणनीति तय करने के लिए बैठक की और फिर से राजस्व संरक्षण की मांग रखी. झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि इस प्रस्ताव के लागू होने पर उनके राज्य को 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. उन्होंने कहा, “अगर केंद्र हमारे नुकसान की भरपाई करता है तो हमें परिषद् के एजेंडे को मंजूरी देने में कोई आपत्ति नहीं है। मुझे नहीं लगता कि इस मुद्दे पर मतदान होगा, क्योंकि संघीय ढांचे में राज्यों के नुकसान की भरपाई करना केंद्र की ज़िम्मेदारी है. ”
वर्तमान ढांचा
फिलहाल जीएसटी ढांचे में 18% स्लैब का हिस्सा सबसे बड़ा है, जो कुल जीएसटी संग्रह का 65% है. 5% स्लैब से कुल राजस्व में 7% योगदान आता है. 28% का उच्चतम स्लैब (लक्ज़री और हानिकारक वस्तुएं) 11% राजस्व देता है, जबकि 12% स्लैब से सिर्फ 5% योगदान आता है.
केंद्र का जीएसटी सुधार प्रस्ताव तीन स्तंभों पर आधारित है — संरचनात्मक सुधार, दरों का तर्कसंगतकरण और जीवन को आसान बनाना है. जीवन को आसान बनाने की दिशा में वित्त मंत्रालय ने छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए तकनीक-आधारित, सुगम जीएसटी पंजीकरण, प्री-फिल्ड जीएसटी रिटर्न और निर्यातकों व इनवर्टेड ड्यूटी संरचना वाले करदाताओं के लिए तेज़ और स्वचालित रिफंड प्रक्रिया का सुझाव दिया है.
निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को तमिलनाडु स्थित सिटी यूनियन बैंक के स्थापना दिवस समारोह में कहा, “नेक्स्ट-जेन जीएसटी सुधार आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था को पूरी तरह खुला और पारदर्शी बना देंगे। साथ ही अनुपालन बोझ में कमी से छोटे व्यवसायों के लिए काम करना और आसान हो जाएगा. ”