सीमेंट पर GST में राहत, लेकिन घर खरीदारों को राहत क्यों नहीं?

जीएसटी काउंसिल का यह कदम बेशक निर्माण सामग्री की लागत कम करने और उपभोक्ताओं को राहत देने की दिशा में सकारात्मक है, लेकिन रियल एस्टेट उद्योग की मूल मांगें—जैसे इनपुट टैक्स क्रेडिट, टैक्स दरों में और कटौती और हाउसिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा—अब भी पूरी नहीं हुई हैं।;

Update: 2025-09-04 17:29 GMT

देश में आवास और बुनियादी ढांचा क्षेत्र को राहत देने की दिशा में जीएसटी काउंसिल ने एक अहम फैसला लिया है। काउंसिल ने सीमेंट जैसी प्रमुख निर्माण सामग्री पर जीएसटी दर घटाकर 28% से 18% कर दी है। यह निर्णय 22 सितंबर से प्रभावी होगा और सरकार ने इसे "दिवाली बोनस" करार दिया है। हालांकि, इस फैसले को निर्माण और सीमेंट उद्योग ने राहत के तौर पर देखा है। वहीं, रियल एस्टेट सेक्टर ने इसे "अधूरा और सीमित सुधार" बताया है।

निर्माण क्षेत्र को मिल सकती है राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी दरों में बदलाव की घोषणा करते हुए कहा कि सीमेंट घर बनाने में मिडिल क्लास के लिए बहुत ज़रूरी है, इसलिए उस पर टैक्स 28% से घटाकर 18% किया गया है। नई दरों के लागू होने के बाद सीमेंट की कीमत में ₹30 प्रति बैग तक की गिरावट आने की संभावना है। इससे बड़े स्तर पर हाउसिंग प्रोजेक्ट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर वर्क्स में लागत कम हो सकती है।

अर्थशास्त्री ए. सरन्या के मुताबिक, जीएसटी 2.0 सुधारों से निर्माण लागत में कमी आएगी, खासकर प्रीमियम हाउसिंग सेगमेंट में जहां मांग बढ़ रही है। इस असर को आने वाले महीनों में महसूस किया जाएगा। CREDAI (क्रेडाई) नेशनल के अध्यक्ष शेखर पटेल ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्रियों पर टैक्स कटौती रियल एस्टेट सेक्टर के लिए बड़ी राहत है। इससे लागत नियंत्रण में मदद मिलेगी और होमबायर्स को कीमतों में स्थिरता मिलेगी। निर्माण लागत में लगभग 5% तक की बचत होगी, जिसका लाभ ग्राहकों को आगे मिलेगा।

रियल एस्टेट फिर निराश

जहां सीमेंट इंडस्ट्री इस फैसले से खुश है। वहीं, रियल एस्टेट डेवलपर्स ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) बहाल न किए जाने पर निराशा जताई है। नविन्स रियल एस्टेट के संस्थापक आर. कुमार ने कहा कि यह सुधार अधूरा है। रियल एस्टेट पर अभी भी 18% जीएसटी लागू है, जो देश की सबसे ऊंची टैक्स दरों में से एक है। आवास कोई लग्ज़री वस्तु नहीं, यह रोटी और कपड़े जितना ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि साल 2014 से अब तक महंगाई और नीति बदलाव के बावजूद होमबायर्स को कोई नया टैक्स लाभ नहीं मिला है। न ही हाउसिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा मिला है।

आर. कुमार ने सरकार की आलोचना करते हुए आगे कहा कि इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं देना ईमानदार डेवलपर्स को दंडित करता है और ग्राहकों के लिए लागत बढ़ाता है। जीएसटी का मूल उद्देश्य ही टैक्स के बोझ को कम करना और पारदर्शिता बढ़ाना था। सरकार कम से कम जीएसटी 12% कर सकती थी या ITC को विकल्प के रूप में बहाल कर सकती थी। उन्होंने कहा कि ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टर को राहत मिल रही है, लेकिन रियल एस्टेट को फिर से बाहर रखा गया है।

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