कम महंगाई, कमजोर खपत, भारत के सामने नई नीति चुनौती

भारत में महंगाई 2.1% पर पहुंची है, जो छह साल में सबसे कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये गिरावट टिकाऊ है और इससे आरबीआई दरों में कटौती कर सकता है।;

Update: 2025-07-16 03:41 GMT

Inflation Rate:  आईडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री गौरव सेनगुप्ता ने ‘द फेडरल’ को दिए विशेष इंटरव्यू में महंगाई में गिरावट के पीछे के कारण, आरबीआई की नीति पर इसके असर और शहरी-ग्रामीण खपत की स्थिति पर विस्तार से बात की।

महंगाई 2.1% पर: ये गिरावट टिकाऊ है या अस्थायी?

गौरव सेनगुप्ता के मुताबिक, यह गिरावट सिर्फ एक आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि एक स्थायी रुझान है। खासकर सब्ज़ियों, दालों और अनाज जैसी अस्थिर खाद्य वस्तुओं में व्यापक गिरावट दर्ज की गई है, जो पिछले वर्ष के अच्छे मानसून और भरपूर खरीफ-रबी फसल का परिणाम है। इस वर्ष का मानसून भी अनुकूल रहा है।

कोर महंगाई (जिसमें खाद्य और ईंधन शामिल नहीं होते) में हल्की बढ़त दिखी है, पर वो मांग के दबाव के बजाय बेस इफेक्ट की वजह से है। खाद्य महंगाई में गिरावट का यह रुझान टिकाऊ और व्यापक है।

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क्या ये गिरावट सिर्फ बेस इफेक्ट का परिणाम है?

नहीं। ये केवल सांख्यिकीय गिरावट नहीं है। महीने-दर-महीने खाद्य कीमतों में सामान्य से कम मौसमी बढ़त दिख रही है, जो बेहतर आपूर्ति और अच्छे मानसून की देन है। कोर महंगाई का औसत 3.4% से 3.6% के बीच बना हुआ है, जो यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था अपनी पूर्ण क्षमता से नीचे काम कर रही है।

आरबीआई की मौद्रिक नीति पर असर क्या होगा?

गौरव का मानना है कि 5.25% का टर्मिनल रेपो रेट अभी भी उपयुक्त है। अगर महंगाई, आरबीआई के अनुमान (3.7%) से नीचे (उनके मुताबिक़ 2.7%) रहती है, तो एक और रेट कट की गुंजाइश बनती है। न्यूट्रल स्टांस का मतलब यह नहीं कि कट की संभावना खत्म हो गई है  इसका मकसद केवल संभावनाओं को संतुलित करना है।

शहरी और ग्रामीण खपत पर क्या असर पड़ा है?

शहरी खपत सुस्त बनी हुई है,वेतन वृद्धि धीमी है और कोविड के दौरान बने घरेलू बचत बफर अब समाप्त हो चुके हैं।ग्रामीण खपत में सुधार देखने को मिल रहा है, खासकर FMCG बिक्री और ग्रामीण मजदूरी में बढ़ोतरी के कारण। खरीफ और रबी सीजन अच्छा रहा है, जिससे ग्रामीण मांग को बल मिल रहा है। केंद्र और राज्यों का पूंजीगत व्यय भी इसमें मदद कर रहा है।

क्या भारत कम-विकास और कम-महंगाई के फंदे में फंस रहा है?

नहीं। FY26 में महंगाई दर 2.7-2.8% रहने की संभावना है, लेकिन FY27 में ये फिर से 4% के आसपास पहुँच सकती है, जो सामान्य बेस इफेक्ट का परिणाम होगा। भारत जापान जैसी स्थायी डिफ्लेशन की स्थिति में नहीं जा रहा।भारत की महंगाई टोकरी का 50% हिस्सा खाद्य पर आधारित है, जो आपूर्ति से जुड़ी होती है। शहरी मांग में नरमी है, लेकिन यह संरचनात्मक संकट नहीं, बल्कि अस्थायी सुस्ती है।

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