भारत को बनना होगा 30 ट्रिलियन इकॉनमी, प्रतिव्यक्ति आय हो $18 हजार : NITI Ayog

नीति आयोग ने विकसित भारत @ 2047 पर एक शोध पत्र में कहा कि भारत को मध्य-आय के जाल से बचने और इससे बाहर निकलने के लिए सावधानीपूर्वक काम करने की आवश्यकता है

Update: 2024-07-28 14:51 GMT

Indian Economy Growth: नीति योग ने 2047 में विकसित भारत के लिए दृष्टिकोण पत्र में कहा गया है कि भारत को मध्य-आय ( मिड्ल इनकम ) के जाल से बाहर निकलने और 2047 तक 18,000 अमेरिकी डॉलर प्रति व्यक्ति आय के साथ 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का प्रयास करने की आवश्यकता है.

नीति आयोग ने '2047 में विकसित भारत के लिए विजन: एक दृष्टिकोण पत्र' शीर्षक से एक पेपर में कहा कि भारत को मध्यम आय के जाल से बचने और इससे बाहर निकलने के लिए सावधानीपूर्वक काम करने की आवश्यकता है. "अर्थव्यवस्था के लिए, एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए, हमें 2047 तक 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का प्रयास करना होगा, जिसमें प्रति व्यक्ति आय 18,000 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष हो.
इसमें कहा गया है, "जीडीपी को आज के 3.36 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से नौ गुना बढ़ाना होगा और प्रति व्यक्ति आय को आज के 2,392 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष से आठ गुना बढ़ाना होगा."
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान इस दस्तावेज पर चर्चा की गई.

मध्यम से उच्च आय स्तर
इस शोध पत्र में ये भी कहा गया है कि मध्यम आय से उच्च आय स्तर तक पहुंचने के लिए 20-30 वर्षों तक 7-10 प्रतिशत की सीमा में निरंतर वृद्धि की आवश्यकता होती है और बहुत कम देश ऐसा करने में सफल रहे हैं. विकसित भारत की अवधारणा को परिभाषित करते हुए शोध पत्र में कहा गया है कि ये एक ऐसा भारत है जिसमें विकसित देश की सभी विशेषताएं होंगी और जिसकी प्रति व्यक्ति आय आज दुनिया के उच्च आय वाले देशों के बराबर होगी.
ये एक ऐसा भारत है जिसकी सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और संस्थागत विशेषताएं इसे एक समृद्ध विरासत वाले विकसित राष्ट्र के रूप में चिह्नित करेंगी और जो ज्ञान के अग्रिम मोर्चे पर कार्य करने में सक्षम है.
विश्व बैंक उच्च आय वाले देशों को ऐसे देश के रूप में परिभाषित करता है जिनकी वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 14,005 अमेरिकी डॉलर (2023 में) से अधिक है। भारत में 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी तक उच्च आय वाला देश बनने की क्षमता है और इसका लक्ष्य भी यही है.

चुनौतियाँ
पत्र में कहा गया है कि विनिर्माण और लॉजिस्टिक्स में क्षमताओं को उन्नत करना तथा ग्रामीण और शहरी आय के बीच अंतर को पाटना कुछ संरचनात्मक चुनौतियां हैं जिनका भारत को समाधान करना होगा.
इसमें कहा गया कि देश को ऊर्जा, सुरक्षा, पहुंच, सामर्थ्य और स्थिरता के बीच संतुलन हासिल करने की जरूरत है.
दस्तावेज में कहा गया है कि उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना देश के कृषि कार्यबल को औद्योगिक कार्यबल में दलने और भारत को वैश्विक विनिर्माण और सेवा केंद्र बनाने के लिए समान रूप से आवश्यक है.
इस बात पर गौर करते हुए कि भारत के लिए विजन कुछ व्यक्तियों या एक सरकार का काम नहीं हो सकता, दस्तावेज में कहा गया है कि यह पूरे देश के सामूहिक प्रयासों का परिणाम होना चाहिए.
दस्तावेज के अनुसार, भारत एक ऐतिहासिक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और 21वीं सदी भारत की सदी हो सकती है, क्योंकि देश अपनी क्षमताओं के प्रति आश्वस्त होकर भविष्य की ओर बढ़ रहा है.

(एजेंसियों से प्राप्त इनपुट के साथ)


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