कांग्रेस का दावा माधबी बुच की सलाहकार कम्पनी को लिस्टेड कंपनियों से मिल रहा है पैसा

कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि माधबी बुच बेशक ये दावा करें कि उनके सेबी प्रमुख बनने के बाद उनकी सलाहकार कम्पनी निष्क्रिय हो गयी है लेकिन हकीकत ये है कि उनकी कंपनी अगोरा को 2016 से 2024 के बीच महिंद्रा एंड महिंद्रा समेत अन्य कंपनियों से 2.95 करोड़ रूपये मिले हैं.

Update: 2024-09-10 08:16 GMT

Congress Vs SEBI Chairperson : कांग्रेस ने SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. इसी क्रम में कांग्रेस ने मंगलवार को एक और गंभीर आरोप लगते हुए सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल किये हैं. कांग्रेस ने दावा किया है कि एक परामर्श दाता कंपनी की 99 प्रतिशत की मालकिन हैं. उन्हें महिंद्रा एंड महिंद्रा सहित कई सूचीबद्ध संस्थाओं से महत्वपूर्ण शुल्क मिल रहा है?


कांग्रेस ने क्या आरोप लगाये

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाते हुए दावा किया कि बुच ने ये दावा किया कि जब उन्होंने सेबी का पदभार ग्रहण किया तो उसके बाद उनके स्वामित्व वाली एक सलाहकार कंपनी निष्क्रिय हो गई, जबकि अगोरा प्राइवेट लिमिटेड( जिसमें बुच की 99 प्रतिशत की हिस्सेदारी है) ने सेवाएं प्रदान करना जारी रखा और 2016 से 2024 के बीच उनकी इस कंपनी ने 2.95 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया. कांग्रेस ने "चौंकाने वाले खुलासे" में दावा किया कि अगोरा के ग्राहकों में महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड, डॉ. रेड्डीज, पिडिलाइट, आईसीआईसीआई, सेम्बकॉर्प, विसू लीजिंग एंड फाइनेंस शामिल हैं.
यहां हितों के टकराव के मुद्दे पर हमारे नए खुलासे हैं, जिसमें सेबी अध्यक्ष - जो अडानी समूह द्वारा प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन की जांच कर रही हैं - घिरी हुई हैं. कांग्रेस ने कहा कि माधबी बुच की ‘अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड’ को लिस्टेड कंपनियों से प्राप्त कोई भी आय हितों के टकराव के बराबर है और बोर्ड के सदस्यों के लिए हितों के टकराव पर सेबी की संहिता की धारा 5 का उल्लंघन है.
अजीब बात ये है कि अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड को मिले कुल 2.95 करोड़ रुपए में से 2.59 करोड़ रुपए अकेले एक ही संस्था - महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप से प्राप्त किये गए हैं. ये अगोरा एडवाइजरी को मिले कुल पैसों का 88 प्रतिशत है.

प्रधानमंत्री मोदी से पूछे चार सवाल 
वहीँ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने अपने 'X' हैंडल पर इस विषय में लिखते हुए सीधे प्रधानमंत्री मोदी से ही 4 सवाल पूछ लिए. जयराम रमेश ने लिखा कि हमारे प्रश्न सीधे तौर पर उस गैर-जैविक प्रधानमंत्री से हैं, जिन्होंने बुच को सबसे पहले नियुक्त किया था -
1) क्या प्रधानमंत्री को पता है कि सुश्री माधबी पी. बुच अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड की 99% मालिक हैं और उन्हें महिंद्रा एंड महिंद्रा सहित सूचीबद्ध संस्थाओं से महत्वपूर्ण शुल्क मिल रहा है?
2) अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड किस तरह की परामर्श सेवाएं प्रदान करता है? क्या वे वित्तीय प्रकृति की हैं?
3) क्या प्रधानमंत्री को सुश्री माधबी पी. बुच के किसी विवादित संस्था से संबंधों के बारे में पता है?
4) क्या प्रधानमंत्री को पता है कि सुश्री माधबी पुरी बुच के पति को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद एमएंडएम लिमिटेड से पर्याप्त आय मिल रही है?

महिंद्रा ने किया आरोपों का खंडन

कांग्रेस के आरोपों के जवाब में महिंद्रा ग्रुप की प्रतिक्रिया सामने आई है. महिंद्रा ग्रुप की तरफ से कांग्रेस के आरोपों का खंडन किया गया है. इन आरोपों को झूठा और भ्रामक बताया गया है. महिंद्रा ग्रुप ने ये भी कहा है कि बुच को सप्लाई चैन में उनकी विशेषज्ञता के लिए नियुक्त किया गया था. स्टॉक एक्सचेंज को दी गई फाइलिंग में, महिंद्रा समूह ने कहा कि धवल बुच को दिया गया मुआवजा उनकी सप्लाई चेन विशेषज्ञता और प्रबंधन कौशल के लिए दिया गया था, जो यूनिलीवर में उनके वैश्विक अनुभव पर आधारित था. बयान में कहा गया है, "हम स्पष्ट रूप से ये कहते हैं कि हमने सेबी से किसी भी समय किसी भी तरह का लाभ नहीं लिया है और न ही इसके लिए कोई अनुरोध नहीं किया है."


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