अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और भड़का: ट्रंप ने लगाया 100% नया टैरिफ

US Tariff on China: ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने की घोषणा और चीन के पलटवार ने अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है. आने वाले हफ्तों में यह देखना होगा कि क्या दोनों देश वार्ता के रास्ते पर लौटते हैं या यह आर्थिक टकराव और गहराता है,

Update: 2025-10-12 08:51 GMT
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US-China Trade War: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव रविवार को और गहरा गया, जब चीन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामानों पर अतिरिक्त 100% टैरिफ लगाने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी. चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका पर "दोहरा मापदंड" अपनाने का आरोप लगाया है और चेतावनी दी कि बीजिंग संघर्ष नहीं चाहता, लेकिन डरता भी नहीं है.

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि टैरिफ युद्धों पर चीन का रुख शुरू से स्पष्ट रहा है. हम संघर्ष नहीं चाहते, लेकिन अगर चुनौती दी गई तो पीछे नहीं हटेंगे. मंत्रालय ने यह भी कहा कि अमेरिका सितंबर से लगातार चीन पर आर्थिक दबाव बढ़ा रहा है और यह रवैया व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचा रहा है. बीजिंग ने कहा कि मैड्रिड में हुई यूएस-चीन वार्ताओं के बाद से अमेरिका ने चीन पर कई नए प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें कई चीनी कंपनियों को एक्सपोर्ट कंट्रोल और विशेष प्रतिबंधित सूची में शामिल किया गया है. यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता के माहौल को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

ट्रंप का ऐलान: 100% नया टैरिफ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को घोषणा की कि 1 नवंबर से चीन से आने वाले सभी सामानों पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा, जिससे कुल टैरिफ दर लगभग 130% तक पहुंच जाएगी. ट्रंप ने इसे चीन के अत्यधिक आक्रामक निर्यात प्रतिबंधों के जवाब में उठाया गया कदम बताया. ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर कहा कि चीन के इस अभूतपूर्व कदम के जवाब में अमेरिका अब मौजूदा टैरिफ से ऊपर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा. उन्होंने यह भी दावा किया कि चीन ने दुनियाभर के देशों को पत्र भेजकर दुर्लभ खनिजों के प्रत्येक उत्पादन तत्व पर पाबंदी की जानकारी दी है. यह पूरी दुनिया को बंधक बनाने जैसा है. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका इस कदम का आर्थिक जवाब देगा.

शी जिनपिंग से प्रस्तावित बैठक पर भी संकट

ट्रंप ने इशारा किया कि इस महीने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ होने वाली उनकी प्रस्तावित बैठक अब संभवतः नहीं होगी. व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने बैठक रद्द नहीं की है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह अब होगी.

बीजिंग का पलटवार

बीजिंग ने 9 अक्टूबर को घोषणा की थी कि वह दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगाएगा. ये खनिज अमेरिका के रक्षा, ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योगों के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं. चीन का दावा है कि यह फैसला "राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों" से लिया गया है और इसका सीधा संबंध अमेरिकी टैरिफ से नहीं है।

नए नियमों के तहत, कोई भी कंपनी — चाहे वह चीनी हो या विदेशी — अब किसी उत्पाद में 0.1% से अधिक दुर्लभ खनिज की मौजूदगी होने पर निर्यात से पहले चीन सरकार से अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही, चीन ने इन खनिजों के सैन्य उपयोग के लिए निर्यात को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है.

चीन का वर्चस्व और अमेरिका की चिंता

हालांकि, दुर्लभ खनिज वास्तव में "दुर्लभ" नहीं होते, लेकिन इनका खनन और प्रक्रिया कठिन है. चीन दुनिया की 90% आपूर्ति करता है. यही कारण है कि चीन की नई नीति से अमेरिका की रक्षा और तकनीकी रणनीतियों पर बड़ा असर पड़ सकता है. चीन ने साथ ही 14 अक्टूबर से अमेरिकी जहाजों पर अतिरिक्त पोर्ट शुल्क लगाने और अमेरिकी चिप निर्माता क्वालकॉम के खिलाफ एंटीट्रस्ट जांच शुरू करने का भी फैसला किया है.

बीजिंग की सफाई

बीजिंग ने स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह निर्यात प्रतिबंध नहीं है. जिन कंपनियों की आवेदन प्रक्रिया पूरी होगी, उन्हें लाइसेंस जारी किए जाएंगे. चीन ने कहा है कि उसने यह बदलाव लागू करने से पहले संबंधित देशों को सूचित कर दिया था.

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