जोमैटो करेगा रेस्तरां के साथ कस्टमर्स का डेटा शेयर, प्राइवेसी के उल्लंघन की बढ़ी चिंता

जोमैटो के इस फैसले ने NRAI के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद को खत्म कर दिया है, लेकिन डेटा सुरक्षा और संभावित स्पैम कॉल व मैसेज को लेकर अब नई बहस शुरू हो गई है.

Update: 2025-11-21 09:39 GMT
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फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म Zomato ने रेस्तरां के साथ ग्राहकों का डेटा साझा करने का फैसला किया है, जिससे रेस्तरां उद्योग के साथ वर्षों पुराना विवाद खत्म होने की उम्मीद है. लेकिन इस फैसले के बाद प्राइवेसी को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे ग्राहकों के डेटा के दुरुपयोग की आशंका बढ़ सकती है.

ग्राहक डेटा साझा करने पर बातचीत

ज़ोमैटो नेशनल रेस्ट्रोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI)—जो 5 लाख से अधिक रेस्तरां का प्रतिनिधित्व करता है उसके साथ बातचीत कर रहा है ताकि ग्राहक डेटा शेयरिंग शुरू की जा सके. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसी ही बातचीत ज़ोमैटो की प्रतिद्वंद्वी कंपनी Swiggy के साथ भी चल रही है.

अभी तक फूड डिलीवरी ऐप्स कस्टमर्स के डेटा शेयर नहीं करते हैं और जानकारी छुपा देते हैं. यानी रेस्तरां को ग्राहकों के फोन नंबर या अन्य निजी जानकारी नहीं दिखाई जाती है. यही मुद्दा रेस्तरां और एग्रीगेटर्स के बीच वर्षों से विवाद की वजह रहा है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत ज़ोमैटो अब पॉप-अप दिखा रहा है, जिसमें ग्राहकों से पूछा जाता है कि क्या वे अपना फ़ोन नंबर रेस्तरां के साथ प्रमोशनल या मार्केटिंग संचार के लिए साझा करना चाहते हैं.

लेकिन एक बार नंबर साझा करने के बाद ग्राहक अपनी सहमति वापस नहीं ले सकते. पॉप-अप मैसेज में लिखा है:

"मैं रेस्तरां को मुझसे प्रमोशनल गतिविधियों के लिए संपर्क करने की अनुमति देता/देती हूँ."

रेस्तरां ग्राहकों से संपर्क नहीं कर सकते

फ़िलहाल जो ग्राहक ज़ोमैटो या स्विगी से ऑर्डर करते हैं, वे ज़रूरत पड़ने पर रेस्तरां को कॉल या मैसेज कर सकते हैं, लेकिन रेस्तरां ग्राहकों को कॉल नहीं कर सकता क्योंकि प्लेटफॉर्म उनके फोन नंबर साझा नहीं करता है. अभी सिर्फ क्षेत्र के आधार पर मैक्रो-लेवल डेटा साझा किया जाता है, न कि व्यक्तिगत उपभोक्ता की जानकारी साझा की जाती है. इससे रेस्तरां लंबे समय से नाराजगी जताते रहे हैं.

NRAI ने पहले CCI में शिकायत दर्ज कराई थी, आरोप लगाते हुए कि ज़ोमैटो और स्विगी "प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं" में शामिल हैं. इसमें डीप डिस्काउंट, ऊँचे कमीशन (कभी-कभी 35% तक) जैसी समस्याएँ शामिल थीं.

फूड डिलीवरी ऐप्स का बढ़ता प्रभाव

ज़ोमैटो जैसे ऐप्स ने रेस्तरां उद्योग को बदल दिया है, जिससे ग्राहक घर बैठे बिरयानी से लेकर पनीर टिक्का तक मंगवा सकते हैं. इस इंडस्ट्री के 18% सालाना वृद्धि दर से बढ़ने की उम्मीद है. रेस्तरां का कहना है कि मास्क किए गए डेटा के कारण वे अपने ग्राहकों से सीधे जुड़ नहीं पाते. यदि उन्हें ग्राहकों की मूल जानकारी मिल जाए तो वे ऑर्डर पैटर्न समझ सकते हैं, मार्केटिंग बेहतर कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर सीधे ग्राहक को कॉल कर सकते हैं.

गोपनीयता पर विवाद

लेकिन इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर भारी आलोचना हो रही है.लोगों का कहना है कि इससे स्पैम कॉल और मैसेज की बाढ़ आ सकती है. राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा और प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई है. देवड़ा ने कहा, “ज़ोमैटो और स्विगी ग्राहकों के मोबाइल नंबर रेस्तरां के साथ साझा करने की योजना बना रहे हैं.इससे गोपनीयता जोखिम बढ़ेंगे और स्पैम भी.DPDP नियमों के अनुरूप स्पष्ट ‘opt-in’ गाइडलाइन जरूरी है ताकि उपभोक्ताओं का डेटा सुरक्षित रहे. प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “ज़ोमैटो इसे पारदर्शिता बता सकता है, लेकिन ग्राहकों के लिए यह डेटा गोपनीयता का उल्लंघन है. यदि ऐप्स ऐसे फैसले खुद लेने लगें, तो मैं IT स्टैंडिंग कमेटी की सदस्य होने के नाते इसकी समीक्षा की मांग करूंगी.”

ज़ोमैटो की सफाई

सरकार ने हाल ही में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) नियम अधिसूचित किए हैं, जो बताते हैं कि व्यक्तिगत डेटा कैसे इकट्ठा, इस्तेमाल और हटाया जाना चाहिए. विवाद बढ़ने पर ज़ोमैटो के CEO आदित्य मंगला ने सफाई दी. उन्होंने कहा, “जब और यदि ग्राहक सहमति देते हैं, तो सिर्फ फोन नंबर ही रेस्तरां के साथ साझा किया जाएगा. कोई अन्य जानकारी साझा नहीं की जाएगी.”

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