फुटपाथ से लेकर IPS बनने तक, Manoj Sharma की कहानी हर दिल को छू जाएगी

IPS मनोज शर्मा की कहानी गरीबी, संघर्ष और आत्मविश्वास से भरी है. दूध बेचना, टेम्पो चलाना और लाइब्रेरी में चपरासी की नौकरी करने वाले मनोज ने चौथे प्रयास में UPSC पास कर AIR 121 रैंक हासिल की.;

Update: 2025-06-23 09:01 GMT
Manoj Sharma Inspiring UPSC Journey

मनोज शर्मा का जन्म मुरैना मध्यप्रदेश के एक बेहद साधारण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में हुआ. बचपन से ही उनके घर की स्थिति बहुत खराब थी. ऐसे माहौल में उनके लिए पढ़ाई करना एक सपना जैसा था, लेकिन मनोज के मन में एक सपना था UPSC पास करके IPS बनना का सपना सच करना. 9वीं और 10वीं कक्षा में उन्हें 3rd division से पास होना पड़ा. 12वीं कक्षा में हिंदी को छोड़कर को सभी विषयों में फेल हो गए थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. इसके बाद उन्होंने हिंदी और इतिहास विषय में B.A. किया.

दिल्ली का सफर: सपनों की तलाश में संघर्ष की शुरुआत

B.A. के बाद मनोज ने दिल्ली का रुख किया ताकि UPSC की तैयारी कर सकें, लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे. उन्होंने टेम्पो चलाया, दूध बेचा, आटे की चक्की में काम किया, लाइब्रेरी में चपरासी की नौकरी की और कई बार फुटपाथ पर सोना पड़ा, भिखारियों के बीच. ये सब इसलिए कि वो खुद अपनी कोचिंग और रहन-सहन के खर्च उठा सकें.

तीन बार असफलता, फिर चौथे प्रयास में सफलता

मनोज शर्मा ने 3 बार UPSC परीक्षा दी लेकिन सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने सकारात्मक सोच और मेहनत के साथ चौथी बार प्रयास किया और UPSC CSE 2005 में AIR 121 हासिल की. वो IPS अधिकारी बने और अब महाराष्ट्र में Inspector General (IG) पद पर तैनात हैं. मनोज की जीवनसाथी श्रद्धा जोशी भी एक IRS अधिकारी हैं. दोनों ने साथ में पढ़ाई की थी. श्रद्धा ने मनोज को मुश्किल समय में भावनात्मक और मानसिक रूप से बहुत सहयोग दिया. मनोज खुद कहते हैं कि उनकी सफलता अधूरी होती अगर श्रद्धा उनके साथ नहीं होतीं.

मनोज शर्मा की संघर्षभरी जिंदगी को आधार बनाकर ही निर्देशक विदु विनोद चोपड़ा ने फिल्म 12th Fail बनाई. इस फिल्म में अभिनेता विक्रांत मैसी ने मनोज शर्मा का किरदार निभाया था. फिल्म को बहुत सराहना मिली और ये लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा बन गई.

क्या सिखाती है मनोज शर्मा की कहानी?

असफलता कोई अंत नहीं होती. ये सिर्फ अगला प्रयास बेहतर करने की सीख देती है. हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादा मजबूत हो तो रास्ता खुद बन जाता है. आर्थिक तंगी, पढ़ाई में पिछड़ना या संसाधनों की कमी ये कुछ नहीं कर सकते अगर आपके पास सपना और मेहनत है. IPS मनोज शर्मा की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक जीवंत उदाहरण है जो परिस्थितियों से हार मान लेते हैं. उन्होंने ये साबित किया है कि अगर आप ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं. ना हालात से डरे, ना नाकामी से. सपनों को हकीकत में बदलने का नाम ही है मनोज शर्मा.

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