IAS अधिकारी बनने के लिए Hari Chandana Dasari ने छोड़ी लंदन की अच्छी-खासी नौकरी, दूसरे प्रयास में पाई सफलता

हरि चंदना दसारी का सफर इतना आसान नहीं रहा जितना हम सोचते है. लेकिन उनकी ये कहानी आपको काफी प्ररेणा देगी.

Update: 2024-11-27 05:55 GMT

विदेश में एक अच्छा खासा करियर को छोड़कर हरि चंदना दसारी ने अपनी मातृभूमि की सेवा करने का रास्ता चुना और सब कुछ छोड़कर भारत लौटी. हरि चंदना दसारी की सफलता हासिल करने तक का उनका सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है. हैदराबाद में पली-बढ़ी हरि की शिशा सेंट ऐन हाई स्कूल से शुरू हुई और सेंट ऐन कॉलेज और हैदराबाद विश्वविद्यालय तक जारी रही. उनके माता-पिता ने उनके करियर बनाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके पिता एक आईएएस अधिकारी थे और उनकी मां एक हाउसमेकर थी. इस परिवार ने उनकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ी.

बाद में हरि ने एम.एससी. की ड्रिग्री हासिल कर ली. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई पूरी की और अपनी योग्यता के आधार पर उन्होंने विश्व बैंक में एक नौकरी पा ली. बाद में लंदन में बीपी शेल के साथ काम किया. हालांकि विदेश में उनकी सफलता के बावजूद वो अपने पिता जैसी देश की सेवा करना चाहती थी. वहीं से उनके मन में आया कि उनको यूपीएससी की तैयारी करनी है और देश की सेवा में जाना है. साल 2010 में हरि ने अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में अच्छी रैंक हासिल की. आईएएस 2010 बैच के हिस्से के रूप में तेलंगाना कैडर में शामिल हो गईं. तब से, उन्होंने हैदराबाद में संयुक्त कलेक्टर के साथ कई भूमिकाओं में अथक परिश्रम किया है.

आईएएस अधिकारी बनने के बाद उन्होंने पब्लिक सर्विस के फील्ड में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने समाज के बहिष्कृत लोगों का जीवन बेहतर बनाने के लिए खूब काम किया. इसके लिए उन्हें लोक प्रशासन में उत्कृष्ठता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार भी मिला. हरि चांदना हैदराबाद की ज्वाइंट कलेक्टर सहित विभिन्न पदों पर काम कर चुकी हैं. वह जिस भी पद पर तैनात रहीं, वहां शानदार काम किया. उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट के जरिए प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल किया.

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