कभी लग्जरी आइटम मानी जाती थी बर्फ, केवल अमीरों की होती थी पहुंच

क्या आपको पता है कि भारत में पहली दफा बर्फ का इस्तेमाल कब किया गया था. तो आइए जानते हैं भारत में पहली बार बर्फ के इस्तेमाल की कहानी.

Update: 2024-05-19 13:02 GMT

Ice History: गर्मी अपने पूरे सबाब पर है. ऐसे में लोगों को ठंडे पानी, लस्सी, जूस, शर्बत, कोल्ड ड्रिंक्स की जरूरत पड़ती है. कई दफा लोग अधिक ठंडक के लिए बर्फ का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, जब लोगों के पास फ्रीज नहीं था, तब क्या आपको पता है कि भारत में पहली दफा बर्फ का इस्तेमाल कब किया गया था. जाहिर है यह सोचने वाली बात है. जिस चीज का हम रोजमर्रा के कामों में इस्तेमाल करते हैं, उसके बारे में यह नहीं पता कि देश में इसका इस्तेमाल पहली बार कब किया गया होगा. तो आइए जानते हैं भारत में पहली बार बर्फ के इस्तेमाल की कहानी.

विदेशों से मंगाने पर पड़ती थी महंगी

आजकल के दौर में घर-घर में फ्रिज मौजूद है. दुकानों और गली-गली में आसानी से बर्फ मिल जाती है. लेकिन देश में एक समय ऐसा भी था, जब भारत में बर्फ मौजूद नहीं थी. उस दौर में केवल अमीरों की ही बर्फ तक पहुंच थी और इसे बेहद लग्जरी आइटम समझा जाता था. क्योंकि इसके महंगे होने की वजह विदेशों से आयात करना थी.

हाथियों पर लादकर लाई जाती थी बर्फ

बर्फ का इस्तेमाल मुगल काल के दौर भी होता था. मुगल बादशाह तो दिल्ली या आगरा से अपनी सल्तनत चलाते थे और इन दोनों ही जगहों पर काफी गर्मी पड़ती थी. अब हिंदुस्तान के बादशाह को भी ठंडे पानी और शर्बत की तलब तो लगती ही होगी. कहा जाता है कि मुगल दौर में भारत में हिमालय से बर्फ लाई जाती थी. बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़ों को हाथियों की पीठ पर लादकर बादशाह के महलों तक पहुंचाया जाता था. हालांकि, हाथियों पर बर्फ लादकर दिल्ली या आगरा लाने में कई दिन लग जाते थे और बर्फ के पिघलने का खतरा भी रहता था. ऐसे में बर्फ को जूट के कपड़े और लकड़ी के बुरादे से ढका जाता था. ऐसा करने से बर्फ पिघलने की अवधि बढ़ जाती थी. इसके बावजूद जब बर्फ बादशाह के महल या किले तक पहुंचती थी तो वह पिघल कर काफी छोटी रह जाती थी.

अमेरिका से मंगाई गई बर्फ

इसके बाद अंग्रेजों के जमाने में विदेशों से बर्फ लाई जाने लगी. इनको जहाज पर लादकर लाया जाता था. जहाज हाथी से कम समय में पहुंच जाते थे, इसलिए काफी ज्यादा मात्रा में बर्फ मिलने लगी थी. तकनीक बढ़ने से बर्फ रखने के लिए 'आइस हाउस' बनाए गए. जहां पर बर्फ को काफी दिनों तक संरक्षित कर रखा जा सकता था. साल 1833 में अमेरिका के बोस्टन शहर से जहाज में बड़ी मात्रा में बर्फ लाई गई थी और यह जहाज कोलकाता पहुंचा था. जब जहाज बोस्टन से निकला था, तब उसमें 180 टन बर्फ थी और जब 4 महीने बाद यह जहाज कोलकाता पहुंचा तो बर्फ घटकर 100 टन रह गई थी.

बनाए गए आइस हाउस

विदेशों से जहाज द्वारा भारत पहुंचाने के लिए यह बर्फ जमीं हुई झीलों और नदियों से निकाली जाती थी. तब इन्हें जहाज में लकड़ी के बुरादे में लपेट कर लाया जाता था. कोलकाता में बर्फ रखने के लिए उस समय 'आइस हाउस' बनाए गए थे.

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