मिलिए उस स्टार किड से जिसने प्रियंका चोपड़ा के साथ किया डेब्यू, SRK के साथ काम करने के बाद स्टारडम से दूर

उन्होंने बड़े सितारों के साथ काम किया. लेकिन ग्लैमर की दुनिया से दूरी बनाई हुई है.;

Update: 2025-04-14 12:02 GMT

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह के बेटे विवान शाह फिल्मी परिवार से होने के बावजूद एक अलग रास्ता चुनने वाले कलाकार हैं. उन्होंने बड़े सितारों के साथ स्क्रीन शेयर की, लेकिन ग्लैमर की दुनिया से दूरी बनाते हुए खुद की रचनात्मक यात्रा पर ध्यान दिया.

अभिनय नहीं, अकादमिक दुनिया थी पहली पसंद

विवान ने कभी अभिनेता बनने का सपना नहीं देखा था. उन्होंने देहरादून के The Doon School से पढ़ाई की और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन्स कॉलेज में इतिहास में दाखिले की कोशिश की, लेकिन सिर्फ एक अंक से चूक गए. इसके बाद उन्होंने मुंबई लौटकर Jai Hind College में पढ़ाई की.

अचानक मिला अभिनय का मौका

विवान ने एक इंटरव्यू में कहा था, मैं अभिनय में ऐसे ही आ गया, ये कभी प्लान नहीं था. लेकिन जब निर्देशक विशाल भारद्वाज ने उन्हें 7 खून माफ के लिए ऑडिशन दिया, तो उन्होंने ये मौका सिर्फ इसलिए लिया क्योंकि वो विशाल के फैन थे. फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें एहसास हुआ कि सिनेमा भारतीय समाज में गहरा असर रखता है और यहीं से उन्होंने अभिनेता बनने का फैसला किया.

प्रियंका चोपड़ा के साथ डेब्यू

2011 में 7 खून माफ से उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत की, जिसमें प्रियंका चोपड़ा मुख्य भूमिका में थीं. इसके बाद उन्हें 2014 की मेगा फिल्म हैप्पी न्यू ईयर में एक खास किरदार मिला, जहां उन्होंने शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, अभिषेक बच्चन जैसे दिग्गजों के साथ स्क्रीन शेयर की.

बड़े मौकों के बावजूद स्टारडम से दूरी

‘हैप्पी न्यू ईयर’ के बाद विवान ने कुछ और फिल्में की जैसे, बॉम्बे वेलवेट, लाली की शादी में लड्डू दीवाना, कबाड़: द कॉइन, ए काश के हम, कोट और हाल ही में इन गलियों में, जिसमें उन्होंने जावेद जाफरी और अवंतिका दासानी के साथ काम किया. इन फिल्मों ने भले ही बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कमाल न किया हो, लेकिन उन्होंने दिखा दिया कि विवान अपने दिल की सुनते हैं और कला को प्राथमिकता देते हैं न कि शोहरत को.

अपने रास्ते पर चलना भी एक सफलता है

विवान शाह की कहानी इस बात का उदाहरण है कि हर स्टार किड का सपना स्टारडम नहीं होता. कुछ लोग अपनी रचनात्मकता और सच्चाई को अधिक महत्व देते हैं. वो कैमरे की चमक से दूर रहकर भी कलात्मक रूप से खुद को साबित कर सकते हैं.

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