वो शख्स जिसने हिला दी ब्रिटिश सत्ता की बुनियाद, कौन थे शंकरन नायर?

जलियांवाला कांड के सर चेट्टूर शंकरन नायर ने वायसरॉय की कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया था। अक्षय कुमार फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2’ में" उस शख्स की भूमिका में हैं।;

Update: 2025-04-13 07:08 GMT
अक्षय कुमार की फिल्म में शंकरन नायर के संघर्ष को किया जाएगा जीवित

भारत की आज़ादी की लड़ाई में जहां गांधी, नेहरू और पटेल जैसे नाम अक्सर गूंजते हैं, वहीं कुछ ऐसे नायक भी हैं जिन्हें इतिहास के पन्नों में कहीं पीछे छोड़ दिया गया—जिनमें एक हैं सर सी. शंकरण नायर। अब बॉलीवुड उनके साहस और संघर्ष की कहानी को नए भारत तक पहुंचाने जा रहा है। अक्षय कुमार, करण जौहर की अगली फिल्म Kesari Chapter 2 में इस ऐतिहासिक किरदार को निभाएंगे।

केरल के गांव से कांग्रेस अध्यक्ष तक का सफर

1857 में केरल के मणकरा गांव में जन्मे शंकरण नायर ने अपने जीवन की शुरुआत वकालत से की थी, लेकिन जल्द ही वे देश की राजनीति में अपनी पकड़ बनाने लगे। पढ़ाई में तेज, बोलने में दमदार और विचारों में स्पष्टता रखने वाले नायर 1897 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे युवा और पहले मलयाली अध्यक्ष बने। वे संविधान और लोकतंत्र की ताकत में विश्वास रखते थे और मानते थे कि भारत को आज़ादी सिर्फ नारेबाज़ी से नहीं, तर्क और हिम्मत से मिलेगी।

जब जलियांवाला बाग कांड ने बदल दी दिशा

1919 का जलियांवाला बाग नरसंहार शंकरण नायर के लिए एक टर्निंग पॉइंट था। उस समय वे वायसराय की कार्यकारिणी परिषद के सदस्य थे—ब्रिटिश सरकार के सिस्टम का हिस्सा। लेकिन इस क्रूर घटना के विरोध में उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया। यह कदम उस दौर में अभूतपूर्व था और अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ भारतीयों के अंदर जागती चेतना का प्रतीक बन गया।

ब्रिटिश अफसर को अदालत में चुनौती दी

नायर ने अपनी किताब ‘Gandhi and Anarchy’ में पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर माइकल ओ’ड्वायर की भूमिका पर सवाल उठाए। जवाब में ओ’ड्वायर ने ब्रिटेन की अदालत में उन पर मानहानि का मुकदमा कर दिया। नायर ने माफी मांगने के बजाय डटकर मुकदमा लड़ा और जुर्माना भरने को तैयार हो गए, लेकिन सच बोलने से पीछे नहीं हटे। इस केस ने ब्रिटिश राज के अत्याचारों को पूरी दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया।

सिर्फ देशभक्त नहीं, समाज सुधारक भी थे

नायर का योगदान सिर्फ राजनीतिक नहीं था। उन्होंने केरल के वंचित और पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा और सम्मान की लड़ाई लड़ी। चेरुमा और थिया जैसे समुदायों के उत्थान के लिए उन्होंने प्रयास किए। उनकी मृत्यु के बाद इन्हीं समुदायों के लोग बड़ी संख्या में उनके अंतिम दर्शन करने पहुंचे—जो उनके प्रति सम्मान का प्रतीक था।

इतिहास में क्यों छूट गया ऐसा नायक?

हाल ही में सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर नायर को याद किया और कहा कि वे "देशभक्ति के प्रतीक थे जिन्हें भुला दिया गया।" इसके जवाब में कई राजनीतिक दलों ने कांग्रेस पर सवाल उठाए कि क्यों ऐसे नेताओं को इतिहास की मुख्यधारा से हटा दिया गया जो नेहरू-गांधी परिवार से नहीं जुड़े थे।

अब बड़े पर्दे पर लौटेगी उनकी कहानी

अक्षय कुमार के ज़रिए अब सर सी. शंकरण नायर की कहानी सिनेमा के ज़रिए फिर से जीवंत होगी। एक ऐसा व्यक्ति, जिसने अंग्रेज़ी सत्ता के बीच रहकर भी उनके अन्याय को चुनौती दी—बिना डरे, बिना झुके। ये फिल्म सिर्फ इतिहास नहीं, आज के भारत को यह याद दिलाएगी कि सच्ची देशभक्ति का मतलब सत्ता के खिलाफ खड़ा होना भी होता है, जब वो ज़ुल्म करे।

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