फर्जी मतदान पर बोले मुख्य चुनाव आयुक्त, "जरूरत हुई तो बुर्कानशीं वोटर्स की जांच होगी'

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि 30 सितंबर को अंतिम SIR लिस्ट जारी की गई थी। मतदाता सूची से लगभग 69 लाख नाम काटे गए हैं।

Update: 2025-10-06 16:10 GMT
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि बूथ पर मौजूद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जरूरत पढ़ने पर पर्दानशीं की चेकिंग करेंगीं

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग की तारीखों का सोमवार शाम ऐलान हुआ। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार से स्पेशल स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR), राहुल गांधी के आरोपों, बिहार में फर्जी वोटिंग-बुर्कानशीं, फ्रीबीज, वोटिंग की 100% वेबकास्टिंग, छठ पर्व के बाद चुनाव कराने को लेकर सवाल पूछे गए। जिनका CEC ने जवाब दिया। बिहार चुनाव से जुड़े 5 बड़े सवाल जिनका CEC ज्ञानेश कुमार ने जवाब दिया

राहुल गांधी की आपत्तियों पर क्या बोले?

स्पेशल स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) राहुल गांधी के बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर लगातार उठाए जा रहे ऑब्जेक्शन से जुड़ा सवाल CEC कुमार से जब किया गया तो वे पहले मुस्कुराए। फिर कहा- 30 सितंबर को अंतिम SIR लिस्ट जारी की गई थी। लगभग 69 लाख नाम कटे। जो अयोग्य थे। इनमें मृत, डुप्लिकेट वोट, स्थायी प्रवास, भारत के नागरिक नहीं होना, फर्जी वोट शामिल थे। जब चुनाव होते हैं तो रिटर्निंग अफसर के अंडर चुनाव होता है। इस व्यवस्था में चुनाव आयोग देखता है कि सभी कानून का पालन हो रहा है या नहीं। राजनीतिक उथल-पुथल पर आयोग ध्यान नहीं देता, क्योंकि चुनाव के दौरान ये चलता है।

छठ पर्व के आसपास चुनाव कराने पर

सभी राजनीतिक दलों ने कहा था कि छठ पर्व के आस-पास चुनाव कराए जाएं। कल ही हम लोग बिहार से लौटे और जल्द से जल्द चुनाव की घोषणा हो रही है, लेकिन इसमें मिनिमम पीरियड रहता है। नोटिफिकेशन के बाद नॉमिनेशन का समय होता है, कंवेंसिग का समय होता है। इन सब को देखते हुए अगर चुनाव का शेड्यूल देखें तो इसके पहले चुनाव नहीं कराया जा सकता था।

फर्जी वोटिंग-बुर्कानशीं वोटर्स पर

चुनाव में फर्जी वोटिंग को ध्यान में रखा गया है। इसके लिए मतदान बूथ पर पर्दानशीं-बुर्कानशीं (मुंह ढंका होने) की स्थिति में बूथ पर मौजूद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जरूरत पढ़ने पर चेकिंग करेंगीं। कमीशन के आइडेंटिटी वेरिफिकेशन को लेकर दिए निर्देश पूरी तरह से साफ हैं। इनका सख्ती से पालन कराया जाएगा।

100% वेबकास्टिंग शेयरिंग पर

100 फीसदी वेबकास्टिंग कोर्ट के आदेश पर शेयर की जाती है। सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट हैं कि कोई भी व्यक्ति अपना वोट डालता है या नहीं डालता है, ये भी राइट टू प्राइवेसी है। ये किसी को जानने का अधिकार नहीं है कि आपने वोट डाला कि नहीं डाला क्योंकि इसका पता चलने पर कई तरह की परेशानी हो सकती है।​ इसलिए​​​​​​ फॉर्म 17 A में वोटर का नाम होता है, वोट का समय उस पर लिखा होता है। वो केवल हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के मांगने पर उन्हें दिया जा सकता है, जब जरूरत हो। कुछ लोग महाराष्ट्र हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन दोनों बार बताया गया कि वेबकास्टिंग हाईकोर्ट को ही दी जा सकती है, वो भी इलेक्शन पिटिशन दायर करने पर।

चुनाव में फ्रीबीज पर

इसकी बहुत चर्चा होती रहती है, लेकिन चुनाव आयोग आचार संहिता लागू होने के बाद सख्ती से इसके नियमों का पालन करता है। फ्रीबीज से जुड़ी कोई भी शिकायत मिलती है तो तय नियम के मुताबिक सख्त एक्शन लिया जाएगा।

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