SCO से इतर वांग यी के सामने उठा LAC का मुद्दा, चीन से विवाद की बड़ी वजह
अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर हिस्सा ले रहे हैं. उस बैठक से इतर उन्होंने चीनी विदेश मंत्री से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भी बात की.
What is Line of Actual Control: कजाकस्तान के अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन से इतर विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने अपनी चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. उन्होंने साफ कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध के लिए यह जरूरी है. इसके लिए हमें कूटनीतिक और सैन्य दोनों चैनल के जरिए संवाद बनाए रखने की जरूरत है.विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी का सम्मान करना आवश्यक है. आपसी आदर, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित के जरिए ही चीन और भारत द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत कर सकते हैं.
गलवान, विवाद का केंद्र
पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर चीनी घुसपैठ के बाद दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ गए. गलवान घाटी में 20 सैनिकों की शहादत के साथ भारतीय फौज ने पीएलए को पीछे धकेल दिया. इसके बाद रिश्ते और खराब हो गए. हालांकि तनाव को दूर करने के लिए कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत हो चुकी है.इसी साल मार्च में चीन की तरफ से वेस्टर्न सेक्टर यानी पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव कम करने करे लिए कुछ विचार भी दिए गए थे. इन सबके बीच हम आपको बताएंगे कि एलएसी का मतलब क्या है.
भारत चीन में तनाव की मूल वजह
दोनों देशों में तनाव की मुख्य वजह 3440 किमी लंबी विवादित सीमा है. यह सीमा की परिभाषा साफ नहीं है.सीमा पर नदियों, झील और बर्फ की चोटियों की वजह से प्राकृतिक रूप से सीमा बदलती रहती है. जिसकी वजह से कई जगहों पर दोनो देशों के सैनिक आमने सामने आ जाते हैं और टकराव की स्थिति बनती है. सैन्य स्तर की वार्ता के बावजूद तनाव जारी है. दिसंबर 2022 में एक साल से ज़्यादा समय में पहली बार सैनिकों के बीच झड़प हुई।यह भारत के पूर्वी छोर अरुणाचल प्रदेश राज्य के तवांग सेक्टर के पास हुआ। कुछ सैनिकों को मामूली चोटें आईं थीं, जून 2020 में एक बड़ी झड़प के बाद से डी-एस्केलेशन यानी तनाव को कम करने का काम चल रहा है। गलवान घाटी की लड़ाई - बंदूकों से नहीं बल्कि लाठी और डंडों से लड़ी गई थी. 1975 के बाद से दोनों पक्षों के बीच पहली घातक झड़प थी।
यह तथ्य है कि आजादी मिलने के बाद से ही पाकिस्तान का रवैया भारत के लिए दुश्मनी का रहा. 1972 में दोनों देशों के बीच शिमला समझौता हुआ जिसमें आम सहमति वाली LOC बनाई गई. इसे मानचित्र पर भौतिक रूप से रेखांकित भी किया गया. इस पर दोवों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशक यानी (DGMO) ने दस्तखत भी किए और इससे मैप को वैधानिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली. दूसरी तरफ LAC महज एक अवधारणा है. भारत और चीन दोवों को इस अवधारणा पर विवाद है लिहाजा सहमति नहीं बन सकी. इसे न तो मानचित्र पर खींचा गया है और न ही बाड़ लगाकर सीमांकित किया गया है.