धनखड़ के इस्तीफे के बाद संसद के गलियारों में गूंज रही आवाज, अगला कौन?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव की उल्टी गिनती शुरू। 782 सांसद तय करेंगे अगला नाम और अब INDIA बनाम NDA की होड़ तेज हो गई है।;
दो दिन पहले यानी कि 21 मई को रात का वक्त था। लेकिन एक खबर ने हर किसी को हैरत में डाल दिया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा की यह घटना अब सियासी पोस्टमार्टम के दौर से गुजर रहा है। बता दें कि धनखड़ के इस्तीफे के 15 घंटे बाद 22 जुलाई को दोपहर करीब 12.15 बजे पीएम मोदी ने उनके स्वास्थ्य की कामना की और एक्स पर लिखा कि अलग अलग जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। इस ट्वीट के करीब 40 मिनट बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस्तीफे को स्वीकार कर लिया और तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई कि देश को अगला उपराष्ट्रपति मिलेगा। बता दें कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत चुनावी प्रक्रिया 19 सितंबर से पहले पूरी होनी है। यहां पर सवाल यह है कि क्या इंडिया गठबंधन को इस चुनावी लड़ाई में जीत मिलेगी।
संवैधानिक प्रक्रिया के तहत राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने उच्च सदन के कार्यवाहक सभापति का कार्यभार संभाल लिया है। भारतीय संविधान के अनुसार, जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुना जाता, तब तक राज्यसभा के उपसभापति कार्यवाहक सभापति की भूमिका निभाते हैं।
क्या है उपराष्ट्रपति का संवैधानिक दायित्व?
भारत के उपराष्ट्रपति को केवल एक प्रतीकात्मक या औपचारिक पद नहीं माना जा सकता। वे राज्यसभा के सभापति भी होते हैं और संसद में विधायी चर्चाओं, बहसों और बिलों की प्रक्रिया में मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। इस लिहाज़ से यह पद संसदीय लोकतंत्र की सुचारू कार्यप्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अब आगे क्या होगा? चुनाव की प्रक्रिया क्या है?
चूंकि इस्तीफा 21 जुलाई को हुआ है, इसलिए चुनाव आयोग को 60 दिनों के भीतर, यानी 19 सितंबर तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव कराना होगा। इसकी प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होगी:
चुनाव अधिसूचना: आने वाले दिनों में चुनाव आयोग तारीखों की घोषणा करेगा।
नामांकन प्रक्रिया: राजनीतिक गठबंधन अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारेंगे।
मतदान प्रक्रिया: संसद के दोनों सदनों के सदस्य गुप्त मतदान में भाग लेंगे और उम्मीदवारों को प्राथमिकता के क्रम में रैंक करेंगे।
गणना और परिणाम: वोटों की गिनती आनुपातिक प्रतिनिधित्व और एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली के आधार पर होगी।
शपथ ग्रहण: विजेता उम्मीदवार को संविधान के अनुच्छेद 69 के तहत शपथ दिलाई जाएगी।
कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
उपराष्ट्रपति का चुनाव सामान्य आम चुनावों की तरह नहीं होता। यह संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के मौजूदा सदस्यों द्वारा गुप्त मतदान के ज़रिए होता है।वर्तमान में 782 सांसद हैं, 6 सीटें रिक्त हैं।प्रत्येक सांसद एक वोट देता है, जिसमें वह अपनी वरीयता क्रम निर्धारित करता है।
चुनाव प्रणाली
Proportional Representation (आनुपातिक प्रतिनिधित्व) द्वारा Single Transferable Vote (एकल हस्तांतरणीय मत) प्रणाली।
कोटा कैसे तय होता है?
कोटा = (वैध मतों की कुल संख्या ÷ 2) + 1
अगर कोई उम्मीदवार इस कोटे तक नहीं पहुंचता, तो सबसे कम प्रथम वरीयता मत पाने वाला उम्मीदवार बाहर कर दिया जाता है और उसके मतों को दूसरी वरीयता के अनुसार अन्य उम्मीदवारों में पुनर्वितरित किया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक कोई उम्मीदवार आवश्यक बहुमत प्राप्त नहीं कर लेता।
किन्हें वोट डालने का अधिकार है?
वर्तमान संसद की संरचना के अनुसार 782 सांसद मतदान के पात्र हैं। इनमें से किसी उम्मीदवार को जीत हासिल करने के लिए कम से कम 392 मतों की आवश्यकता होगी। यह संख्या प्राथमिक वरीयता या बाद के राउंड में हस्तांतरित मतों के माध्यम से भी पूरी की जा सकती है।
राजनीतिक समीकरण क्या कह रहे हैं?
यदि विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक सभी छोटे दलों और निर्दलीयों को साथ लाकर संयुक्त उम्मीदवार उतारने में सफल नहीं हो पाता, तो NDA (भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला गठबंधन) मजबूत स्थिति में रहेगा। NDA के पास पहले से ही पर्याप्त संख्याबल है और वह अपना उम्मीदवार बिना ज्यादा मुश्किल के निर्वाचित करा सकता है।
नए उपराष्ट्रपति का चुनाव केवल एक पद भरने की प्रक्रिया नहीं है, यह एक संविधानिक दिशा तय करने वाला मोड़ है। संसद के उच्च सदन का नेतृत्व कौन करेगा, यह तय करेगा कि आने वाले सत्रों में विधायी कामकाज कितना प्रभावी, निष्पक्ष और गतिशील होगा। इसलिए, यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक नहीं, संवैधानिक स्थायित्व का भी प्रतीक है।