K-4 बैलिस्टिक मिसाइल से इंडियन नेवी को मिलेगी और ताकत, जानें- खासियत

K 4 बैलिस्टिक मिसाइल की ऑपरेशनल रेंज 3500 किमी तक है। इसके जरिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है। यही नहीं हिंद महासागर में भारतीय नौसेना का दबदबा भी बढ़ेगा।;

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-29 05:57 GMT

K-4 Ballistic Missile:  वैश्विक स्तर पर शक्ति संतुलन के लिए फौज का ताकतवर होना जरूरी है। मजबूत फौज के लिए जहां पेशेवर अधिकारी और कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है। वहीं बेहतर संसाधन भी होने चाहिए। मसलन उन्नत हथियारों की खेप। उन उन्नत हथियारों की कैटिगरी में बैलिस्टिक मिसाइल आती हैं। भारत ने स्वदेशी रूप से विकसिच परमाणु क्षमता से लैस K-4 मिसाइल का सफल टेस्ट किया है। इसका परीक्षण आईएनएस अरिघात से किया गया और इसके जरिए 3500 किमी से अधिक स्ट्राइक रेंज हासिल किया गया। सामान्य शब्दों में 3500 किमी तक के लक्ष्य को इसकी मदद से भेदा जा सकता है। इसके सफल परीक्षण से हिंद महासागर में भारत की सामरिक क्षमता में और इजाफा होगा।

DRDO ने किया है विकसित

बंगाल की खाड़ी से इसका सटीक परीक्षण किया गया। खास बात ये कि अब भारत भी कुछ खास देशों में जगह बना चुका है जिनके पास पनडुब्बी से परमाणु मिसाइल दागने की महारत हासिल है। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग ने बनाया है। आईएनएस अरिघात (Submarine) जिसके जरिए इसे टेस्ट किया गया उसकी भार क्षमता 6 हजार टन है। K-4 सॉलिड फ्यूल मिसाइल है। उड़ान भरने के लिए बूस्ट गाइड टेक्निक का इस्तेमाल होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि दुश्मन के रडार चकमा खा जाते हैं। एंटी बैलिस्टिक मिसाइल का भी इस पर असर नहीं होता। नेविगेशन सिस्टम के सटीक होने से दुश्मन के लक्ष्य को वेधने में और आसानी होती है।

K-4 की खासियत

K-4 मिसाइल 10 मीटर लंबी, 1.5 मीटर चौड़ी, वजन करीब 20 टन है। इसकी मदद से 2.5 टन वॉरहेड ले जाया जा सकता है। जानकार कहते हैं कि सतह से सतह या जमीन से हवा से जो मिसाइलें दागी जाती हैं उसकी तुलना में पनडुब्बी से मिसाइल दागना सेफ रहता है। अब इसके पीछे वजह ये है कि सबमरीन या पनडुब्बी पानी के अंदर छिपी रहती है और उसका पता लगा पाना बेहद मुश्किल होता है। दुश्मन देश पनडुब्बी पर हमला भी आसानी से नहीं कर पाते हैं।

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