किसान नेता डल्लेवाल को मेडिकल सहायता न उपलब्ध कराने पर SC ने पंजाब सरकार को लगायी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब सरकार किसानों की भाषा बोल रही है। कुछ किसान नेता ऐसे हैं, जिनका अपना स्वार्थ है, जो चाहते हैं कि डल्लेवाल अनशन करते हुए मर जाएँ।;
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-12-28 10:22 GMT
Farmer Leader Dallewal Indefinite Fast : किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगायी है। कोर्ट ने डल्लेवाल को मेडिकल सहायता उपलब्ध न कराने पर नाराज़गी जताई है। कोर्ट ने कहा, "हम पंजाब सरकार के रवैये से असंतुष्ट हैं। अगर सरकार को हमारे आदेश पर अमल के लिए केंद्र सरकार की सहायता चाहिए, तो हम केंद्र को जरूरी मदद उपलब्ध कराने का निर्देश देंगे।"
अवमानना की चेतावनी
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, "यह अवमानना का मामला है। पंजाब सरकार को समझना चाहिए कि अगर हमारे आदेश का पालन नहीं हुआ, तो आगे क्या होगा। हम राज्य के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दे सकते हैं।"
31 दिसंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने के अपने आदेश पर अमल करने के लिए और समय दिया है। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को 31 दिसंबर तक अनुपालन की रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 31 दिसंबर को होगी।
यह मामला पंजाब सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि आदेश की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
32 दिनों से अनशन पर है डल्लेवाल
जगजीत सिंह डल्लेवाल की बात करें तो वो पिछले 32 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को लेकर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी असमर्थता जाहिर की है। पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कोर्ट को कहा कि हम ख़ुद को असहाय महसूस कर रहे है। डल्लेवाल ने मेडिकल सहायता लेने से मना कर दिया है। उन्हें समझाने की हमारी तमाम कोशिश नाकामयाब रही है। पंजाब के अटोर्नी जनरल ने अदालत के समक्ष कहा कि डल्लेवाल को लगता है कि अगर वो मेडिकल सहायता लेते है तो यह उनके आंदोलन को कमजोर करेगा। किसानों ने उन्हें घेरा हुआ है। उन्हें इलाज के लिए शिफ्ट करना भी मुश्किल है।
पंजाब की 'असहाय' सरकार से सुप्रीम कोर्ट के तीखे सवाल
- सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि आप भी डल्लेवाल के वही धरनास्थल पर मौजूद रहने के पक्ष में है।
- डल्लेवाल के पास इंसानों की इस किलेबंदी की इजाज़त किसने दी! किसने ये सब होने दिया? क़ानून व्यवस्था कायम रखने की ज़िम्मेदारी किसकी है!
- किसान शान्तिपूर्ण धरनास्थल पर बैठे तो समझ आता है, पर यहाँ तो एक इंसान को मेडिकल सहायता लेने से रोका जा रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं सुना गया!
- ये सीधे सीधे किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला बनता है। ये अपने आप मे अपराध है और आप कह रहे है कि आप कुछ नहीं कर सकते!
-अगर एक राज्य सरकार यह कह रही है कि वो असहाय महसूस कर रही है, तो आप समझते है कि इसका क्या दुष्परिणाम हो सकता है? क्या हम आपका ये बयान रिकॉर्ड पर ले। हम वहाँ पर गैरवाजिब पुलिस फोर्स का इस्तेमाल करने के लिए नहीं कह रहे।
किसानों के रवैये पर भी सुप्रीम कोर्ट ने उठाये सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने डल्लेवाल को मेडिकल सहायता देने में बाधा बन रहे किसानों के रवैये पर भी सवाल खड़ा किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जानते है कि कुछ किसान नेता है, जिनके अपने निहित स्वार्थ है। वो चाहते है कि डल्लेवाल मर ही जाए! पंजाब सरकार को ज़रूरत है कि वो इस बात को समझे कि डल्लेवाल अपने साथियों के दबाव में मेडिकल सहायता लेने से इंकार कर रहे है। अगर डल्लेवाल को कुछ हो जाता है तो किसानों को भी समझना चाहिए कि वो ऐसे किसान नेता को खो देंगे जो उनके लिए एक ग़ैर राजनैतिक लड़ाई लड़ रहा है।
पंजाब सरकार ने कहा केंद्र सरकार करे बातचीत की पहल
पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने कहा कि अगर केंद्र बातचीत की पहल करता है तो स्थिति थोड़ी बेहतर हो सकती है। पंजाब सरकार की ओर से कहा गया कि अगर डल्लेवाल को हॉस्पिटल ले जाया जाता है, तो किसानों और पुलिस दोनों में हिंसक झड़प हो सकती है। दोनो ओर के लोगों की जान जा सकती है। अगर केंद्र बातचीत की पहल करता है तो स्थिति थोड़ी बेहतर हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश देने से किया इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के इस तर्क पर केंद्र सरकार को आदेश देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक सवैंधानिक कोर्ट पर आप इस तरह की शर्ते नहीं थोप सकते। पंजाब सरकार किसानों की ही भाषा बोल रही है। जहाँ तक केंद्र से बातचीत के मसले का सवाल है, हम पहले ही कह चुके है कि कोर्ट इसे अपने स्तर पर देखेगा। लेकिन अभी की स्थिति आपको ( पंजाब सरकार को ) संभालनी है।