साइलेंट माइग्रेन के ये हैं लक्षण, बिना दर्द के कर सकता है हालत खराब!
साइलेंट माइग्रेन भले ही सिर दर्द के बिना आता है लेकिन इसके लक्षण डेली लाइफ को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। यदि आप बार-बार ऐसे अनुभव कर रहे हैं तो समय रहते...;
Silent Migraine Symptoms And Cause: अक्सर जब सिर में तेज दर्द होता है, तो लोग इसे माइग्रेन मान लेते हैं। लेकिन माइग्रेन सिर्फ सिर दर्द तक सीमित नहीं है। यह एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो गर्दन, चेहरे और आंखों तक असर डाल सकती है। माइग्रेन का एक ऐसा रूप भी है, जिसमें सिर दर्द नहीं होता, लेकिन अन्य लक्षण दिखाई देते हैं। इसे साइलेंट माइग्रेन (Silent Migraine) कहा जाता है।
क्या है साइलेंट माइग्रेन?
साइलेंट माइग्रेन में व्यक्ति को माइग्रेन के सामान्य लक्षण जैसे धुंधली दृष्टि, चक्कर, उल्टी जैसा महसूस होना या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। लेकिन सिर दर्द नहीं होता। यह स्थिति उतनी ही परेशान करने वाली हो सकती है जितनी सामान्य माइग्रेन।
महिलाओं में ज्यादा आम
अध्ययनों के अनुसार, माइग्रेन की समस्या महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक पाई जाती है। World Health Organization (WHO) और American Migraine Foundation के अनुसार, दुनियाभर में करीब 1 बिलियन लोग माइग्रेन से पीड़ित हैं। इनमें से 18 से 25 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी रूप में माइग्रेन से प्रभावित होती हैं, जबकि पुरुषों में यह संख्या लगभग 6 से 10 प्रतिशत होती है।
इसके पीछे हार्मोनल बदलाव (जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति), मानसिक तनाव और जीवनशैली से जुड़ी आदतें प्रमुख भूमिका निभाते हैं। Harvard Medical School की रिपोर्ट के अनुसार, एस्ट्रोजन के स्तर में उतार-चढ़ाव माइग्रेन को ट्रिगर करने वाले मुख्य कारणों में से एक है।
साइलेंट माइग्रेन के लक्षण
इस स्थिति में कई लक्षण देखे जा सकते हैं, जैसे...
धुंधला दिखाई देना या दृष्टि में अचानक बदलाव
चक्कर आना या असंतुलन महसूस होना
उल्टी या मतली
थकावट और सुस्ती
पेट दर्द या अपच जैसी समस्याएं
भ्रम की स्थिति या अचानक कमजोरी
ये लक्षण आमतौर पर 15 मिनट से लेकर 60 मिनट तक बने रह सकते हैं। National Headache Foundation के अनुसार, ऐसे लक्षणों की अवधि व्यक्ति-दर-व्यक्ति भिन्न हो सकती है और कभी-कभी यह प्रभाव कई घंटों या दिनों तक भी रह सकता है।
कब होती है शुरुआत?
माइग्रेन की शुरुआत अक्सर 20 से 30 साल की उम्र के बीच होती है। हालांकि, यह किसी भी उम्र में हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 75% से अधिक माइग्रेन पीड़ितों को पहली बार लक्षण 35 वर्ष की उम्र से पहले अनुभव होते हैं। अगर सिर दर्द के बिना बार-बार उपरोक्त लक्षण दिखाई दें तो इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। समय रहते इसका निदान कराना आवश्यक है।
साइलेंट माइग्रेन का इलाज और प्रबंधन
साइलेंट माइग्रेन का इलाज सामान्य माइग्रेन जैसा ही होता है। दर्द और लक्षणों को कम करने के लिए NSAIDs, ट्रिप्टान्स, और कुछ मामलों में एंटी-नौसिया दवाएं दी जाती हैं। यदि समस्या लगातार बनी रहती है, तो डॉक्टर बीटा-ब्लॉकर्स, एंटी-सीज़र दवाएं या सीजीआरपी इनहिबिटर्स की सलाह दे सकते हैं।
इसके अलावा, American Academy of Neurology के अनुसार, माइग्रेन को ट्रिगर करने वाले कारणों जैसे नींद की कमी, तनाव या कुछ विशेष खाद्य पदार्थों (जैसे चॉकलेट, चीज और अत्यधिक कैफीन) से बचना भी बहुत प्रभावी हो सकता है।
साइलेंट माइग्रेन से कैसे बचें?
रोजाना एक तय समय पर सोना और उठना
तनाव प्रबंधन के लिए मेडिटेशन और योग
संतुलित आहार और हाइड्रेशन बनाए रखना
कैफीन और जंक फूड का सेवन सीमित करना
माइग्रेन डायरी रखें ताकि ट्रिगरिंग फैक्टर्स की पहचान हो सके
साइलेंट माइग्रेन भले ही सिर दर्द के बिना आता है। लेकिन इसके लक्षण आपकी दिनचर्या को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। यदि आप बार-बार ऐसे अनुभव कर रहे हैं तो समय रहते डॉक्टर से परामर्श लें और अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव लाकर इससे राहत पाएं। माइग्रेन को नजरअंदाज करना आगे चलकर गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए सजग रहना और सेहत को प्राथमिकता देना जरूरी है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।