उमस भरे मौसम में इंफेक्शन से बचने के आसान उपाय, दूर रहेगी खुजली
इस मौसम में हमारी स्किन सीबम यानी ऑयल ज्यादा बनाती है, जिससे पोर्स ब्लॉक हो जाते हैं और पिंपल्स, ब्लैकहेड्स-व्हाइटहेड्स उभरने लगते हैं...;
Skin Care Tips: गर्मी और बरसात का जब मेल होता है तो मौसम में बढ़ती उमस सिर्फ पसीना और चिपचिपाहट ही नहीं लाती, बल्कि हमारी त्वचा पर कई तरह के अदृश्य हमले भी करती है। हवा में मौजूद अत्यधिक नमी के कारण पसीना जल्दी सूख नहीं पाता, जिससे स्किन की नैचुरल प्रोटेक्शन लेयर कमजोर पड़ जाती है।
यही वह मौका होता है जब फंगल, बैक्टीरियल और ऑयली स्किन संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ती हैं। आइए जानें, इस मौसम में कौन-कौन सी स्किन प्रॉब्लम्स हमें घेर सकती हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।
जब नमी बन जाए संक्रमण की जड़: फंगल इंफेक्शन
उमस भरे मौसम में शरीर के वे हिस्से जहां हवा का प्रवाह कम होता है, जैसे बगलें, जांघों की सिलवटें या गर्दन के पीछे की त्वचा — वहां पसीना जमा होकर एक आदर्श वातावरण तैयार कर देता है फंगल इंफेक्शन के लिए। इसका संकेत होता है त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते और सफेद परत जैसा संक्रमण। इससे बचने के लिए कॉटन कपड़े पहनें, त्वचा को हमेशा सूखा रखें और एंटी-फंगल क्रीम या पाउडर का नियमित उपयोग करें।
पसीने की गर्माहट बन जाए परेशानी: हीट रैश
हीट रैश या घमौरियां तब होती हैं जब त्वचा की पसीना निकालने वाली ग्रंथियां ब्लॉक हो जाती हैं और पसीना त्वचा के नीचे फंस जाता है। नतीजा — त्वचा पर छोटे-छोटे लाल दाने, जलन और खुजली। इससे निपटने के लिए जरूरी है कि शरीर को ठंडा और सूखा रखा जाए। दिन में दो बार स्नान करें और पसीने वाली जगहों पर टैल्कम पाउडर का प्रयोग करें।
जब स्कैल्प और ऑयली एरिया में फैले स्केल्स: सीबोरिक डर्मेटाइटिस
यह समस्या आमतौर पर उन जगहों पर होती है जहां त्वचा ऑयली रहती है — जैसे सिर, नाक के किनारे, कान के पीछे या सीने के ऊपर। लक्षणों में पीली या सफेद स्केलिंग, जलन और त्वचा पर चिकनापन शामिल है। इसके लिए मेडिकेटेड शैम्पू जैसे केटोकोनाज़ोल और हल्के क्लींजर का प्रयोग करें और स्किन को बहुत अधिक ऑयली न बनाएं।
गंदगी के साथ साथ बढ़ता है इंफेक्शन: बैक्टीरियल इन्फेक्शन
उमस के समय शरीर पर बना कोई छोटा सा कट या घाव भी बैक्टीरिया के लिए एंट्री पॉइंट बन सकता है। अगर समय पर सफाई न की जाए, तो यह पस, दाने या यहां तक कि बुखार तक दे सकता है। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, और अगर घाव या रैश बढ़ रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
जब चेहरा कहे – अब और नहीं: एक्ने और ऑयली स्किन
इस मौसम में हमारी स्किन सीबम यानी ऑयल ज्यादा बनाती है, जिससे पोर्स ब्लॉक हो जाते हैं और पिंपल्स, ब्लैकहेड्स-व्हाइटहेड्स उभरने लगते हैं। इससे निपटने के लिए चेहरे को दिन में दो बार फेसवॉश से धोएं, नॉन-कॉमेडोजेनिक मॉइस्चराइज़र का उपयोग करें और चेहरे को बार-बार हाथ लगाने से बचें।
उमस से जुड़ी त्वचा की बीमारियां तभी खतरनाक होती हैं जब हम उन्हें अनदेखा करते हैं। साफ-सफाई, स्किन को सूखा रखना और फंगल/बैक्टीरियल उत्पादों का इस्तेमाल आपकी त्वचा को सुरक्षित रखने में बेहद कारगर है।
साथ ही, आंतरिक पोषण भी जरूरी है- विटामिन C, फाइबर और पर्याप्त पानी लें ताकि स्किन अंदर से भी हेल्दी रहे। याद रखिए, उमस को हल्के में लेना खुद से दूरी बढ़ाने जैसा है। त्वचा को सांस लेने दीजिए, उसे नजरअंदाज़ नहीं करें बल्कि थोड़ा प्यार और ध्यान दीजिए।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।