कई बीमारियों से बचाव का उपाय है वॉटर थेरेपी, आवश्यकता के अनुसार अपनाएं
पानी पीना ही नहीं बल्कि स्नान करना और जरूरत होने पर कुछ मिनट पानी में लेटे रहना भी शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाकर रख सकता है। यहां जानें कुछ आसान तरीके...;
पानी से जुड़ा ये स्लोगन तो आपने जरूर सुना होगा 'जल ही जीवन है' यानी पानी हमारे जीवन का आधार है और हमारे शरीर का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा पानी से ही बना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पानी को सही तरीके से पीने से यह एक प्रभावी थेरेपी की तरह रिजल्ट दे सकता है? या फिर तनाव और शरीर दर्द जैसी समस्याओं को मौसम और जरूरत के अनुसार गर्म या ठंडे पानी में लेटकर ठीक किया जा सकता है? वॉटर थेरेपी यानी पानी से उपचार, एक प्राचीन और वैज्ञानिक रूप से समर्थित तरीका है, जो शरीर को डिटॉक्स करने, वजन घटाने और संपूर्ण स्वास्थ्य सुधारने में मदद करता है। आइए विस्तार से जानते हैं वॉटर थेरेपी के फायदों और इसे अपनाने की सही विधि के बारे में...
वॉटर थेरेपी क्या है?
वॉटर थेरेपी का अर्थ है निर्धारित मात्रा में और सही समय पर पानी का सेवन करके शरीर को स्वस्थ बनाना। यही कारण है कि आयुर्वेद और जापानी वॉटर थेरेपी विशेष रूप से लोकप्रिय है, जिसमें सुबह उठते ही खाली पेट पानी पीने की परंपरा शामिल है। इसके साथ ही बहुत अधिक तनाव होने या पूरे शरीर में दर्द होने पर भी बाथटब में लेटकर शरीर को स्वस्थ किया जाता है। यहां तक कि भारत में वॉटर बर्थ का कॉन्सेप्ट भी प्राचीन समय में बहुत प्रचलित रहा है। जिसमें, प्रसव पीड़ा को कम करने के लिए किसी बड़े से टब में बच्चे की नॉर्मल डिलिवरी कराई जाती थी।
वॉटर थेरेपी के फायदे
शरीर को डिटॉक्स करता है: पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और अंगों को शुद्ध करता है।
वजन घटाने में सहायक: भोजन से पहले पानी पीने से भूख नियंत्रित होती है और अधिक खाने से बचाव होता है।
पाचन को बेहतर बनाता है: पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से कब्ज, एसिडिटी और अपच की समस्या दूर होती है।
चमकदार त्वचा: पानी त्वचा को हाइड्रेट करता है, जिससे झुर्रियां कम होती हैं और त्वचा ग्लोइंग बनती है।
ऊर्जा बढ़ाता है: सही मात्रा में पानी पीने से थकान कम होती है और ऊर्जा का स्तर बना रहता है।
किडनी और मूत्राशय को स्वस्थ रखता है: पर्याप्त पानी पीने से गुर्दों की सफाई होती है और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से बचाव होता है।
वाटर थेरेपी को अपनाने की सही विधि
सुबह खाली पेट पानी पिएं: उठते ही 4-5 गिलास या जितना आप आराम से पी सके, उतनी मात्रा में गुनगुना पानी पिएं। फिर फिर मोशन पास करने जाएं। ये पानी आपको ऊकडू बैठकर पीना है। ऐसा करने से पेट जल्दी साफ होता है। कब्ज की समस्या नहीं होती और शरीर हाइड्रेट रहता है।
भोजन से पहले पानी पिएं: खाने से 30 मिनट पहले पानी पीना फायदेमंद होता है।
भोजन के तुरंत बाद पानी न पिएं: खाने के तुरंत बाद पानी पीने से पाचन क्रिया धीमी हो सकती है। इसलिए पानी पीना ही हो तो गुनगुना पिएं।
दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं: एक दिन में औसतन 8-10 गिलास पानी पीने की आदत डालें।
गुनगुना पानी पिएं: ठंडे पानी की तुलना में गुनगुना पानी शरीर के लिए अधिक फायदेमंद होता है। विशेषतौर से सर्दी के मौसम में और भोजन के तुरंत बाद पीने के लिए। गर्मी के मौसम में पेट दर्द होने या पाचन संबंधी समस्या होने पर ही इसका उपयोग करें।
धीरे-धीरे पानी पिएं: एक बार में बहुत ज्यादा पानी पीने के बजाय थोड़े-थोड़े समय पर पानी पीना चाहिए। पानी को एक सांस में नहीं गटकना चाहिए। साथ ही पानी को हमेशा बैठकर पीना चाहिए।
सावधानियां
जरूरत से ज्यादा पानी पीने से इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है। इसलिए गर्मी के मौसम में नींबू पानी का सेवन भी हर दिन जरूर करना चाहिए।
यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें। साथ ही किडनी की समस्या वाले लोगों को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अत्यधिक ठंडा पानी पीने से पाचन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए जितना हो सके सामान्य तापमान वाला पानी पीना चाहिए। ठंडा पानी भी पीना हो तो फ्रिज से तुरंत निकालकर ना पिएं। बल्कि 10 मिनट बाहर रखने के बाद ही इसका सेवन करें।
वाटर थेरेपी एक आसान, प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। यदि इसे सही तरीके से अपनाया जाए तो यह पाचन, वजन, त्वचा और ऊर्जा स्तर में सुधार कर सकता है। इसलिए आप अपनी दिनचर्या में पानी पीने की सही आदत डालें और स्वस्थ जीवन का आनंद लें।
डिसक्लेमर- यदि आपको कोई भी स्वास्थ्य समस्या है तो बताए गए नियमों का पालन करने से पहले डॉक्टर से सलाह करें।