बिहार में लालू-रबड़ी राज को क्यों कहा जाता है जंगल राज?

बिहार विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने हैं और सियासत गरमाने लगी है। बिहार दौरे पर गए अमित शाह ने सीधे सीधे कहा कि लालू-रबड़ी राज मतलब जंगलराज;

By :  Lalit Rai
Update: 2025-03-31 12:14 GMT

Bihar Assembly Elections 2025:  1990 के दशक में भारतीय राजनीति बड़े बदलाव का गवाह है। हिंदी पट्टी में सियासत अब अगड़ी जातियों से छिटक कर पिछड़े समाज के हाथों में चला गया था। यूपी में मुलायम सिंह यादव ने कमान संभाली और बिहार की बागडोर लालू प्रसाद यादव के हाथ में। लालू यादव के शासन में उम्मीद बंधी कि अब बदलाव की बयार बहेगी। हासिए पर जो समाज दशकों से रहे हैं उनको मुख्य धारा में आने का मौका मिलेगा। सरल शब्दों में कहिए तो पिछड़े-शोषित समाज का विकास। इस दिशा में कितनी प्रगति हुई इसे लेकर तरह तरह के दावे किए जाते हैं। लेकिन बिहार की सियासत में जब लालू-रबड़ी राज का जिक्र होता है तो विपक्षी दल जंगल राज की संज्ञा देते हैं। सवाल यह है कि लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी के शासन में हुआ क्या था।

बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले अभिरंजन कुमार कहते हैं कि ऐसा नहीं था कि लालू शासन के पहले बिहार में अपराध नहीं होते थे। नरसंहार नहीं हुए। लेकिन फर्क यह हुआ कि लालू-रबड़ी शासन में अपराध संगठित चेहरे मोहरे के साथ दस्तक देने लगा। प्रशासन में बैठे हुए अधिकारी कार्रवाई तो करते थे। लेकिन वो कवायद हाथी की दांत की तरह होते थे। उदाहरण के लिए पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सिवान, छपरा से लेकर सीमांचल के पूर्णिया,कटिहार, सुपौल तक अपराध का बोलबाला था। दक्षिण बिहार के जिले जहानाबाद, अरवल, गया, नवादा, रोहतास नक्सलियों के प्रभाव में थे। लालू यादव के रिश्तेदार खासतौर से रबड़ी के भाई साधु और सुभाष पर आरोप लगते थे कि वो लोग गाड़ियों के शोरूम से खुलेआम गाड़ियां उठा ले जाते थे। पटना में हालात ऐसे बने कि बड़े बड़े डॉक्टर राज्य छोड़ने के लिए मजबूर हो गए।

बिहार में लालू यादव मतलब जंगलराज। दरअसल इसकी चर्चा इसलिए भी होने लगी क्योंकि बीजेपी के कद्दावर नेता और गृहमंत्री अमित शाह  अमित शाह ने राजद और लालू प्रसाद यादव पर हमला किया। जिन शब्दों का इस्तेमाल किया उससे साफ है कि भाजपा और एनडीए के निशाने पर लालू प्रसाद यादव का 15 साल का शासन, चारा घोटाला और कानून-व्यवस्था रहेगा। शाह ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद पर सीधा हमला करते हुए कहा कि जो लोग गायों का चारा खाते हैं, वह बिहार के लोगों के कल्याण के बारे में नहीं सोच सकते।गोपालगंज में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि केंद्र और बिहार दोनों जगह की राजग सरकारें राज्य के समग्र विकास के लिए काम कर रही हैं...जो लोग जानवरों का चारा खाते हैं, वे राज्य के लोगों के कल्याण के बारे में नहीं सोच सकते। लालू जी अलकतरा घोटाला, बाढ़ राहत सामग्री आपूर्ति घोटाला, चरवाहा विद्यालय घोटाला में शामिल थे उन्होंने गायों का चारा भी खाया।

शाह यह नहीं रुके, उन्होंने कांग्रेस को भी अपने लपेटे में ले लिया। उन्होंने कहा-यहां (बिहार) लालू-राबड़ी सरकार और केंद्र में सोनिया-मनमोहन सरकार ने बिहार के लिए कुछ नहीं किया। लालू प्रसाद ने सिर्फ अपने परिवार के लिए काम किया..लालू प्रसाद ने अपने दोनों बेटों को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की। अपनी पत्नी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी कर रहे हैं, अपनी बेटी को राज्यसभा भेजा, लेकिन लोगों के लिए कुछ नहीं किया जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में राजग सरकार बिहार के समग्र विकास के लिए काम कर रही है..शाह ने कहा कि अगले पांच सालों में बिहार को बाढ़ मुक्त बना दिया जाएगा।

अभिरंजन कुमार से अगला सवाल इसी विषय पर था कि बीजेपी के नेता 20 से 30 साल पुरानी घटनाओं को क्यों कुरेदते थें। अगर लालू का शासन जंगलराज था तो नीतीश कुमार ने लालू की पार्टी संग सरकार बनाने में परहेज नहीं किए। इस सवाल के जवाब में अभिरंजन कुमार कहते हैं कि देखिए सियासत का दो मकसद होता है पहला तो सत्ता हासिल करना और दूसरा कि अपने विरोधी को साथ में रख उसे कमजोर कर देना। अगर आप 2015 और 2020 को देखें तो नीतीश ने क्या किया। कुर्सी को हासिल करने के लिए उन्होंने लालू संग गलबहिया करने से गुरेज नहीं किए। बिहार के पिछड़े समाज को संदेशा दिया कि हम तो चाहते हैं कि शोषित वंचित वर्ग के विकास में लालू जी का साथ मिले। लेकिन हकीकत में लालू जी की पार्टी का मूल चरित्र ही अपराध को बढ़ावा देना है, लिहाजा उनसे दूरी बना ली। इसे आप बेशक मौकापरस्ती का नाम दे सकते हैं। हालांकि बिहार में जो लोग रह रहे हैं तुलनात्मक तौर पर नीतीश माइनस लालू का राज ही प्रदेश के लिए बेहतर होगा। 

इन सबके बीच डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव कानून के मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेरते हैं, क्राइम ग्राफ के जरिए बताते हैं कि कैसे सुशासन बाबू के शासन में क्या आम क्या खास कोई सेफ नहीं है। लेकिन आरजेडी के 15 साल का का शासन जब लोगों को याद आता है तो आंकड़ों के जरिए लोग अपने मन और मष्तिष्क को तैयार करते हैं कि कुछ भी नीतीश का शासन बेहतर है। वैसे भी बिहार में अगर आपराधिक तत्वों की राजनीति में एंट्री देखें तो कोई भी दल अछूता नहीं है। 

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