कुरनूल बस हादसा: NH-44 का यह हिस्सा क्यों बना मौत का ट्रैप?

चिन्नतेकुर, कल्लूर मंडल, कुरनूल को लंबे समय से सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा ब्लैक स्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है (Black Spot ID: AP-(02)-149)। 2019-2022 की अवधि में इसे खतरनाक माना गया था।

Update: 2025-10-25 06:45 GMT
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आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के चिन्नेतेकुर गांव के पास शुक्रवार (24 अक्टूबर) की तड़के एक तेज़ रफ्तार बस में लगी भीषण आग ने 12 साल पहले हुए एक समान हादसे की दर्दनाक यादें ताज़ा कर दी हैं, जिसमें 45 लोग मारे गए थे। लंबे सफर करने वाले निजी बस यात्रियों के लिए यह राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) का यह हिस्सा अब मौत का जाल बन गया है। चिंता की बात यह है कि यह हादसा उसी स्थान पर हुआ, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने “ब्लैक स्पॉट” के रूप में चिन्हित किया है।

जिम्मेदार कौन?

कुरनूल से होकर जाने वाला NH-40 आंध्र प्रदेश के YSR कडापा और चित्तूर जिलों से गुजरता है और तमिलनाडु के रानीपट तक जाता है। शुक्रवार की सुबह कुरनूल के पास कावेरी ट्रैवल्स बस में लगी आग ने सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर जिम्मेदार कौन है।

ब्लैक स्पॉट्स की गंभीरता

चिन्नतेकुर, कल्लूर मंडल, कर्नूल को लंबे समय से सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है (Black Spot ID: AP-(02)-149)। 2019-2022 की अवधि में इसे खतरनाक माना गया था। सुरक्षा उपायों में थर्मोप्लास्टिक रोड मार्किंग, मेडियन एज लाइन और साइनेज शामिल थे। राष्ट्रीय राजमार्ग अधिकारियों के अनुसार, 2023 तक NH-44 पर कर्नूल से अनंतपुर तक 39 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं, जो पिछले वर्षों की तुलना में बढ़ोतरी दर्शाता है। ब्लैक स्पॉट पर ड्राइवरों को सतर्क करने और थके हुए ड्राइवरों के लिए विश्राम स्थल बनाए जाते हैं। लेकिन पर्याप्त पेट्रोलिंग और समय पर हस्तक्षेप की कमी NH-44 को मौत की राह बनाती रही है।

पेट्रोलिंग टीम कहां थी?

हादसे के समय पेट्रोलिंग टीम या अधिकारी घटनास्थल पर क्यों नहीं पहुंचे, यह एक बड़ा सवाल है। पुलिस के अनुसार अधिकारी सूचना मिलने के 15 मिनट के भीतर पहुंचे, लेकिन तब तक हादसा हो चुका था।

पिछली घटनाएं नहीं सिखा पाईं सबक

30 अक्टूबर 2013: जब्बार ट्रैवल्स की बस 51 यात्रियों के साथ बेंगलुरु से हैदराबाद जा रही थी। महबूबनगर में ओवरटेक के दौरान डीज़ल टैंक फट गया और 45 लोग जल गए। केवल चालक और सहायक बचे।

14 फरवरी 2021: मदानपल्ले में 14 लोग मिनीबस हादसे में मारे गए।

2019: वेल्दुरथी के पास 16 लोग निजी बस के टेम्पो से टकराने से मारे गए।

इन हादसों में सड़क निर्माण में तकनीकी खामियां, ओवरलोडिंग और अवैध सीट परिवर्तन मुख्य कारण थे।

निजी बसों की तेज़ रफ्तार एक बड़ी समस्या

APSRTC बसें 140 किमी का सफर 3.5-4 घंटे में तय करती हैं, जबकि निजी बसें इसे 2.5 घंटे में पूरा कर देती हैं, जिससे तेज़ रफ्तार के कारण हादसे अधिक गंभीर होते हैं।

उपाय

तिरुपति के परिवहन अधिकारी कोर्रापाटी मुरली ने कहा कि हमने हाल ही में अचानक निरीक्षण बढ़ाए हैं। क्षमता से अधिक यात्री ले जाने वाली बसों पर जुर्माना लगाया गया। त्योहारों के मौसम में स्पेयर बसें तैनात की गई हैं और रूट बदल-बदलकर जांच जारी रहेगी।

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