के अन्नामलाई ने 1956 की खास घटना का किया जिक्र, DMK से क्या है नाता ?

के अन्नामलाई,तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष हैं.डीएमके और एआईएडीएमके दोनों पर निशाना साधने का मौका नहीं चुकते. हाल ही में इन्होंने 1956 की एक खस घटना का जिक्र किया.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-13 06:54 GMT

K Annamalai News:  तमिलनाडु की राजनीति में बीजेपी खुद के लिए जगह बनाने की कोशिश में जुटी हुई है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई कहते हैं कि चाहे डीएमके हो या एआईडीएमके इन दोनों ने सिर्फ सत्ता की मलाई काटी है. राज्य के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया. कांग्रेस कहने को राष्ट्रीय पार्टी है लेकिन जमीन पर असर शून्य है. तमिलनाडु का विकास सिर्फ बीजेपी कर सकती है क्योंकि हमारे पास विजन है. इन सबके बीच वो डीएमके पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि स्टालिन सरकार ने तो उन्हें परेशान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा. इसके साथ ही 1956 की एक घटना का खास जिक्र किया है. क्या है वो घटना जिसका डीएमके संस्थापक सी एन अन्नादुरई से रहा है.

के अन्नामलाई ने क्या लिखा था

एक्स पर लिखते हुए के अन्नामलाई बताते हैं कि पिछले 3 वर्षों में डीएमके की सरकार ने ना जानें कितने मुकदमे लाद दिए. सच बोलने की कीमत ना सिर्फ उन्हें बल्कि बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को उठानी पड़ी है. अभी तो हाल ही में उन्हें प्रताणित करने की पूरी कोशिश की गई. उन्होंने इतिहास की एक घटना का जिक्र क्या कि परेशान करने की नीयत से डीएमके सरकार पीछे पड़ चुकी है.अन्नामलाई कहते हैं कि कुछ पुरानी घटनाओं को याद दिलाने के लिए वो तो मौजूदा सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं. 1956 में डी पी मुथुरामलिंगा थेवर की कही बातों को वो लोगों की स्मृति से हटाना चाहते हैं. डीएमके सरकार को उनका संदेश साफ है. आप खुलासा करने से रोक नहीं सकते, चाहे जितने केस लाद दो.

अब इतिहास तो इतिहास है

अन्नामलाई ने कहा था कि मदुरै में 1950 के दशक में अन्नादुरई ने हिंदू विचारधारा के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की थी जिसका विरोध पसुपोन मुथुरामलिंगा थेवर ने किया था. जब इस विषय पर बवाल बढ़ा तो अन्नामलाई मे कहा कि अन्नादुरई ने क्या कहा था उसके बारे में कुछ नहीं बोला था. वो तो सिर्फ उस संदर्भ को रख रहे थे जिसमें पशुमपोन मुथुरामलिंगा ने सनातन धर्म के रक्षा की बात कही थी.अन्नामलाई कहते हैं कि उनके पास 1956 के अखबार की वो प्रति भी है. उन्होंने उसी बात को कहा जो इतिहास में है, इतिहास तो इतिहास है, उनका मकसद किसी की गरिमा को आघात नहीं पहुंचाना है. वो ना तो किसी का अपमान या कम करके आंक रहे हैं. इतिहास को इतिहास की तरह देखा जाना चाहिए. चाहे वो किसी को पसंद हो या ना हो.

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