फिर से बंगाल के जूनियर डॉक्टरों ने काम किया ठप्प, जानें अब क्या रखी मांग

पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों ने ममता बनर्जी सरकार पर विभिन्न मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए मंगलवार से पूरी तरह से 'काम बंद' कर दिया है.

Update: 2024-10-01 04:12 GMT
सांकेतिक फोटो

Kolkata rape murder case: पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों ने ममता बनर्जी सरकार पर विभिन्न मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए मंगलवार से पूरी तरह से 'काम बंद' कर दिया है. जूनियर डॉक्टरों की आठ घंटे लंबी बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है. डॉक्टर्स की अस्पताल की सुरक्षा मजबूत करने, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार, अस्पतालों में खतरे और राजनीति को खत्म करने से जुड़ी 10 मांगें हैं.

पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने एक बयान में कहा कि हम आज से पूरी तरह से काम बंद करने के लिए मजबूर हैं. जब तक हमें सुरक्षा, मरीज सेवाओं और डर की राजनीति पर सरकार से स्पष्ट एक्शन देखने को नहीं मिलते, हमारे पास अपनी हड़ताल जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. बता दें कि 42 दिनों के विरोध-प्रदर्शन के बाद जूनियर डॉक्टर 21 सितंबर को आंशिक रूप से सरकारी अस्पतालों में अपनी ड्यूटी पर लौट आए थे. वे 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ऑन-ड्यूटी महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के विरोध में हड़ताल पर थे.

आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि हमें सुरक्षा से संबंधित हमारी मांगों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कार्रवाई देखने को नहीं मिल रही है. आज (विरोध का) 52वां दिन है और हम पर अभी भी हमले हो रहे हैं और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठकों के दौरान किए गए अन्य वादों को पूरा करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. मौजूदा स्थिति में हमारे पास आज से पूर्ण काम बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. जब तक हमें इन मांगों पर राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट कार्रवाई नहीं दिखती, तब तक यह पूर्ण काम बंद जारी रहेगा.

बता दें कि यह घोषणा ट्रेनी महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध में संयुक्त मंच डॉक्टरों (जेपीडी) द्वारा कोलकाता में रैली करने के एक दिन बाद की गई है. जेपीडी की याचिका का निपटारा करते हुए कोलकाता हाई कोर्ट के जस्टिस राजर्षि भारद्वाज ने निर्देश दिया कि उत्तर कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से दक्षिण में रवींद्र सदन तक शाम 5 बजे से 8 बजे के बीच सेंट्रल एवेन्यू और एस्प्लेनेड के रास्ते शांतिपूर्ण रैली आयोजित की जाए.

हालांकि, कोलकाता पुलिस ने रैली में हिस्सा लेने वाले लोगों की संख्या और रैली मार्ग की लंबाई दोनों में कमी करने का अनुरोध किया था. लेकिन अदालत ने ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया. हालांकि, कोर्ट ने कोलकाता पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय) की देखरेख में अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे रैली को शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ने देने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करें. जस्टिस भारद्वाज ने रैली आयोजकों को अपने समर्थकों का प्रबंधन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त वॉलिंटियर उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया कि कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहे.

पश्चिम बंगाल के एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले मेडिक्स प्लेटफॉर्म ने कोलकाता पुलिस आयुक्त से कॉलेज स्क्वायर से रवींद्र सदन तक शाम 5 बजे से 8 बजे के बीच विरोध रैली की अनुमति मांगी थी, जिसमें लगभग 50,000 प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद थी. हालांकि, संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय) ने आयोजकों को सूचित किया कि रैली केवल 1,000 प्रतिभागियों और वॉलिंटियर के साथ आगे बढ़ सकती है. लेकिन इसका मार्ग कॉलेज स्क्वायर से एस्प्लेनेड में रानी रश्मोनी एवेन्यू तक ही होगा. जवाब में, जेपीडी ने इन प्रतिबंधों को हाई कोर्ट में चुनौती दी और यह तर्क दिया कि जनता स्वेच्छा से विरोध में शामिल हो रही थी. इसलिए प्रतिभागियों की संख्या सीमित करना लागू करने योग्य नहीं था.

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