प्रयागराज महाकुंभ 2025: अंतिम चरण और स्थानीय लोगों की बढ़ती परेशानी
महाकुम्भ के अब सिर्फ चार दिन शेष बचे हैं। ये आखिरी वीकेंड है और ऐसे में भीड़, जाम और यातायात की समस्याओं के बीच कुम्भ नगरी एक बार फिर से परेशानी से जूझ रही है।;
Mahakumbh Prayagraj : कहावत है हाथी निकल गया पूंछ अटक गयी। अक्सर इस कहावत का प्रयोग उस समय किया जाता है, जब कोई कठिन कार्य अपने अंतिम दौर में पहुँचता है और शेष कार्य के पूरा करने में लोग थकान महसूस करने लगे या फिर काम को पूरा करने में लगभग हार मानने लग जाएँ। कुछ ऐसा ही प्रयागराज के लोगों को भी महसूस हो रहा है। महाकुंभ मेले को 41 दिन बीत चुके हैं और अब सिर्फ 4 दिन शेष बचे हैं। महाकुम्भ के अंतिम चरण में पहुँचने पर श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत ज्यादा बढ़ गयी है, ख़ासतौर से वीकेंड पर। आलम ये है कि कुम्भ नगरी और उसके आसपास के क्षेत्रों में स्थिति एक बार फिर से बेकाबू हो गयी है, खासतौर से ट्रैफिक व्यवस्था की दृष्टि से।
सोशल मीडिया पर अफवाहें: FIR दर्ज
महाकुंभ के दौरान सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने के मामले भी सामने आ रहे हैं। बांग्लादेश में 2022 में हुए ट्रेन हादसे को महाकुंभ की घटना बताकर अफवाह फैलाने वाले 34 सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पुलिस ने FIR दर्ज की है।
शहर में यातायात की स्थिति: पैदल चलने की मजबूरी
लखनऊ से आई एक महिला ने दावा किया कि "शहर के बाहर बस ने हमें उतार दिया, फिर शटल बस से मेला क्षेत्र के लिए यात्रा की। बस में खड़े होकर यात्रा करनी पड़ी। आधे घंटे का रास्ता तय करने में चार घंटे लग गए।" प्रयागराज के सभी सात एंट्री पॉइंट्स पर बाहर से आने वाली गाड़ियों को रोक दिया गया है और श्रद्धालुओं को शहर से बाहर बनी पार्किंग में गाड़ियाँ पार्क करनी पड़ रही हैं। वहां से संगम की दूरी 10 से 12 किमी है। कई श्रद्धालुओं को एंट्री पॉइंट्स से मेले तक जाने के लिए 500 से 1000 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं, क्योंकि ऑटो, ई-रिक्शा और बाइक वाले मनमाना किराया वसूल रहे हैं।
महंगे फ्लाइट टिकट और बढ़ता शुल्क
दिल्ली से प्रयागराज की फ्लाइट का किराया इस समय काफी ज्यादा बढ़ गया है, जबकि 26 फरवरी के बाद यह किराया घटकर सिर्फ 3 हजार रुपए तक रह जाएगा।
संगम स्नान की संख्या और श्रृद्धालुओं की बढ़ती संख्या
शनिवार शाम तक 1.29 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम स्नान किया। 13 जनवरी से अब तक करीब 60.02 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। सरकार के अनुसार, इस समय दुनिया में 120 करोड़ सनातनी हैं, जिनमें से आधे से ज्यादा लोग संगम में स्नान कर चुके हैं। महाशिवरात्रि (26 फरवरी) तक यह संख्या 65 करोड़ को पार होने की उम्मीद है।
स्थानीय लोगों की समस्याएं और व्यापार पर असर
महाकुंभ के दौरान स्थानीय लोगों को शहर में बढ़ती भीड़ और यातायात जाम से कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। गली-मोहल्लों में जाम लगने के कारण लोग अपने रोजमर्रा के काम नहीं कर पा रहे। स्कूल, कॉलेज, और यूनिवर्सिटी जाने में छात्रों और कर्मचारियों को घंटों लग रहे हैं। दुकानदार भी सामान की कमी और खराब व्यापार से परेशान हैं।
प्रयागराज के ही एक निवासी का कहना है, "मेरे जीवन में पहली बार ऐसा हुआ है कि घर के बाहर पैदल भी नहीं निकल पा रहा हूँ। अब महाकुंभ का प्रचार बंद कर दिया जाना चाहिए ताकि शहर में शांति बनी रहे।" इसी तरह कई स्थानीय लोग इस बढ़ती भीड़ और जाम से परेशान हैं।
महाकुंभ की वजह से चिकित्सा सेवाएं भी प्रभावित
तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल पहुंचना भी अब चुनौती बन चुका है। मेडिकल स्टाफ को भी समय पर अस्पताल पहुंचने में दिक्कत हो रही है। एक महिला मेडिकल स्टाफ ने बताया, "महाकुंभ के कारण मुझे रोजाना 7-8 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है, जिससे न तो मैं समय पर अस्पताल पहुंच पाती हूँ और न ही घर। इससे मरीजों को भी परेशानी हो रही है।"
नौकरी पेशा लोगों को बढ़ी परेशानी
प्रयागराज में नौकरी करने वाले लोगों को अब दफ्तर जाने के लिए चार से पांच घंटे ज्यादा समय लग रहा है। कई बार कर्मचारियों को समय से दो घंटे पहले निकलना पड़ता है, जिससे उनकी सामान्य कार्य शिफ्ट 13-14 घंटे की हो जाती है।
दुकानदारों का संकट
व्यापारियों को भी जमकर परेशानी हो रही है। दुकानों में रोजमर्रा का सामान नहीं पहुंच पा रहा है। एक दुकानदार ने दावा किया कि, "हमारे लिए व्यापार करना मुश्किल हो गया है, सामान की किल्लत हो रही है और ग्राहक भी नहीं आ पा रहे हैं।"
महाकुंभ के इस अंतिम चरण में श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों दोनों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यातायात व्यवस्था, व्यापार, चिकित्सा सेवाएं, और शिक्षा पर इसका गहरा असर पड़ रहा है। प्रशासन को इन समस्याओं के समाधान के लिए जल्द कदम उठाने की आवश्यकता है।