बर्फ पिघलते ही J&K में एक्टिव हुए आतंकी, पहलगाम को क्यों बना निशाना?
पहगाम के बैसरन घाटी को मिनी स्विटजरलैंड भी कहा जाता है। 22 अप्रैल को पर्यटक मस्ती और आनंद में थे। लेकिन आतंकियों ने कायराना हरकत की और 26 लोगों की जान चली गई;
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने एक बार फिर केंद्र सरकार की आशंकाओं को सच कर दिखाया है। घाटी की फिजा में उठते खतरे के बादल अब साफ नजर आने लगे हैं। यह हमला न केवल सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती है, बल्कि आने वाले समय में क्षेत्रीय स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है।
पहले से थी खतरे की आहट
10 मार्च को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने जम्मू में उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की थी। इसके बाद 6 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में यूनिफाइड कमांड की बैठक की अध्यक्षता की। इन बैठकों की नींव खुफिया एजेंसियों की उन रिपोर्टों पर आधारित थी, जिनमें चेतावनी दी गई थी कि पाकिस्तान गर्मियों के मौसम में जम्मू-कश्मीर में कोई बड़ा आतंकी कदम उठा सकता है।
बैसरन घाटी का भयावह मंजर
22 अप्रैल को जब पहलगाम की बैसरन घाटी में पर्यटकों की चीखें गूंज उठीं, तब खुफिया एजेंसियों की चिंता यथार्थ में बदल चुकी थी। हमले में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग घायल बताए जा रहे हैं। यह हमला न केवल निर्दोष नागरिकों पर किया गया एक क्रूर हमला था, बल्कि यह घाटी की शांति को गहरी चोट पहुंचाने का प्रयास भी था।
विदेशी आतंकियों की संलिप्तता
प्रारंभिक जांच के अनुसार, इस हमले को कम से कम चार आतंकियों ने अंजाम दिया। उनमें से तीन के विदेशी होने की आशंका है और एक स्थानीय आतंकी उन्हें इलाके में मार्गदर्शन देने की भूमिका में था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, फिलहाल जम्मू-कश्मीर में लगभग 70 विदेशी आतंकी सक्रिय हैं। हाल ही में सीमा पार से घुसपैठ को रोकने के लिए पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात की अगुवाई में बड़ी कार्रवाई की गई थी, लेकिन संदेह है कि कुछ आतंकी पहले ही घाटी में प्रवेश कर चुके हैं और मौके की तलाश में छिपे हुए थे।
बर्फ के पिघलते ही फिर सक्रिय हुए आतंकी
सूत्रों का कहना है कि पहाड़ों की बर्फ के पिघलने से पारंपरिक घुसपैठ वाले रास्ते फिर से खुल गए हैं। इन्हीं रास्तों से आतंकी बैसरन घाटी तक पहुंचे और उन्होंने पहाड़ियों से नीचे उतरकर पर्यटकों को निशाना बनाया। हमले के बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके में सघन सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) भी जल्द ही मौके पर पहुंच सकती है और विदेशी आतंकियों को मदद देने वाले ओवरग्राउंड वर्कर्स के खिलाफ कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
लश्कर का नकाब TRF
इस हमले की जिम्मेदारी 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली है, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा संगठन माना जाता है। घटनास्थल से M4 राइफल की गोलियों के अवशेष बरामद हुए हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि आतंकियों के पास अत्याधुनिक हथियार मौजूद थे। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने AK-47 और अन्य ऑटोमेटिक हथियारों का इस्तेमाल किया। कुछ घायलों ने बताया कि हमलावरों ने उनके परिजनों को दूर से निशाना बनाकर गोली मारी, जिससे यह अंदेशा और पुख्ता हो गया है कि आतंकियों को स्नाइपर जैसी प्रशिक्षण दी गई थी।
सरकार सतर्क, नई रणनीति की तैयारी
हमले के तुरंत बाद केंद्र सरकार अलर्ट मोड में आ गई है। प्रधानमंत्री की वापसी के बाद एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाए जाने की संभावना है। रक्षा और गृहमंत्रालय से जुड़े सभी विभागों को अलर्ट कर दिया गया है। सीमा पर भी पाकिस्तान की सेना की बढ़ी हुई गतिविधियों को देखते हुए सतर्कता बढ़ा दी गई है।
यह हमला एक बार फिर यह साबित करता है कि आतंकवाद अब भी हमारे सबसे बड़े राष्ट्रीय सुरक्षा संकटों में से एक है। आने वाले समय में सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को एक समन्वित और सतत रणनीति अपनानी होगी, ताकि कश्मीर घाटी को फिर से शांति और स्थिरता की ओर लौटाया जा सके।