सद्गुरु जग्गी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, अब मद्रास हाई कोर्ट में नहीं होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई अपने पास स्थानातरित की, साथ ही पुलिस की कार्रवाई पर भी रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने ये कदम ईशा फाउंडेशन की याचिका पर किया, जिसमें मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की गयी थी.

Update: 2024-10-03 10:31 GMT

Sadguru Jaggi Vasudev : सद्गुरु जग्गी को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने न केवल मद्रास हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई को अपने पास स्थानांतरित करवा दिया है, बल्कि पुलिस कार्रवाई को भी रोक दिया है. साथ ही ये भी कहा है कि इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने जो भी निर्देश दिए हैं, उन पर अब कोई कार्रवाई न की जाए. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 18 अक्टूबर की रखी है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को ये निर्देश दिए हैं कि पुलिस अपनी अब तक की जांच के मुताबिक स्टेटस रिपोर्ट हाई कोर्ट के बजाए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करें.

वहीँ मद्रास हाई कोर्ट में हेबियस कार्पस दाखिल करने वाले याची को अगली सुनवाई में विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखने के लिए पेश होने के निर्देश दिए हैं.

क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट में
दरअसल मदरास हाई कोर्ट के उस फैसले को ईशा फाउंडेशन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी, जिसमें हाई कोर्ट ने आश्रम में जाँच करने के आदेश दिए थे. ईशा फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट जजों ने बंद चैंबर में ऑनलाइन मौजूद उन दोनों महिलाओं से बात की, जिनके पिता ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर आरोप लगाया था कि उन्हें ब्रेन वाश कर आश्रम में रखा गया है. दोनों महिलाओं ने कोर्ट को बताया कि वो अपनी मर्जी से पिछले कई सालों से आश्रम में रह रही है, उनके आश्रम से बाहर जाने पर कोई पाबंदी नहीं है. इतना ही नहीं दोनों महिलाओं ने ये भी कहा कि उनके घरवालों ने भी आश्रम आकर उनसे कई बार मुलाकात की है. दोनो महिलाओं की उम्र 42 और 39 साल है.
दोनों महिलाओं की बात सुनने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला अपने पास स्थानांतरित किया और पुलिस जाँच को रोकने के लिए कहा.

मदरास हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया था
ज्ञात रहे कि मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को पुलिस को सद्गुरु जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी क्रिमिनल केस की जानकारी देने का निर्देश दिया था. दरअसल हाई कोर्ट ये आदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज की ओर से दायर की गयी हेबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए थे. याचिकाकर्ता ने याचिका में दावा किया था कि उसकी दो बेटियां जो बेहद पढ़ी-लिखी हैं, का ब्रेनवॉश करने के बाद उन्हें ईशा फाउंडेशन के योग केंद्र में रखा गया है.
हाई कोर्ट ने मामले की जांच के लिए पुलिस को निर्देश दिए थे, जिसके बाद इस आदेश के मुताबिक 150 पुलिसकर्मियों की टीम ने आश्रम पहुँच कर पूछताछ व छानबिन भी की थी.



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