पुलिस की गाड़ी का अपहरण में इस्तेमाल ! विवाद में ऐसे फंसे तमिलनाडु के ADGP
इस मामले की जड़ें एक अंतरजातीय विवाह को लेकर हुए पारिवारिक विवाद में हैं, जिसमें विधायक जगन मूर्ति और अन्य लोगों का नाम भी सामने आया है। इस पूरे विवाद के केंद्र में एक सरकारी वाहन है, जिसका कथित तौर पर अपहरण के लिए दुरुपयोग किया गया।;
तमिलनाडु में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और एक विधायक से जुड़े एक सनसनीखेज अपहरण मामले ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। इस मामले में सरकारी वाहन के दुरुपयोग और उच्चस्तरीय राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप सामने आए हैं।
मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के बाद 16 जून को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) एचएम जयाराम से पूछताछ की गई और उन्हें निलंबित कर दिया गया। यह मामला 16 साल के इंद्रचंद के तिरुवल्लूर ज़िले से अपहरण से जुड़ा है। मामले की जड़ें एक अंतरजातीय विवाह विवाद में हैं और इसमें किल्वैथिननकुप्पम से विधायक पूवै जगन मूर्ति और अन्य के नाम भी सामने आए हैं। इस विवाद के केंद्र में एक सरकारी वाहन है, जिसकी रजिस्ट्रेशन संख्या TN06 G 0606 है।
अंतरजातीय विवाह से उपजा विवाद
मामला मपेडु के एक जल कैन बनाने वाली फैक्ट्री में काम करने वाले धनुष (23) और थेनी ज़िले की विजयस्री (21) के बीच इंस्टाग्राम पर हुई दोस्ती से शुरू हुआ। दोनों ने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर 15 अप्रैल 2025 को शादी रजिस्टर्ड करवाई।
विजयस्री ने एक स्थानीय 'कंगारू कोर्ट' में साफ कह दिया था कि उसे अपने परिवार की संपत्ति नहीं चाहिए, बस वे धनुष के साथ रहना चाहती हैं। चूंकि दोनों बालिग़ थे, इसलिए पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने की इजाज़त दी।
लेकिन स्थिति तब बिगड़ गई जब विजयस्री के परिवार को कथित तौर पर थेनी के एक ताकतवर राजनेता और मदुरै के एक प्रभावशाली व्यक्ति का समर्थन मिला। यह मामला ADGP जयाराम तक पहुंचा। उन्होंने कथित तौर पर महेश्वरी (पूर्व पुलिसकर्मी और सहयोगी) और विधायक जगन मूर्ति को इस विवाद में शामिल किया।
7 जून की रात: अपहरण
7 जून 2025 को रात 12:50 बजे, धनुष की माँ लक्ष्मी ने पुलिस कंट्रोल रूम (100) पर कॉल कर बताया कि उनके छोटे बेटे इंद्रचंद को पांच लोगों ने एक सरकारी गाड़ी (TN06 G 0606) में अगवा कर लिया। उसने बताया कि उसके बेटे को पहले पीटा गया और फिर उठाकर ले जाया गया।
करीब 3 बजे रात, इंद्रचंद को उसके घर से 2 किलोमीटर दूर परंबक्कम बस स्टैंड पर छोड़ा गया। लक्ष्मी द्वारा शिकायत में गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर देना इस मामले की कड़ी साबित हुआ, क्योंकि यह ADGP जयाराम की आधिकारिक जीप से जुड़ा था।
वाहन का अपहरण में इस्तेमाल
जांच में सामने आया कि सरथ, जो पूनमल्ली के एक वकील हैं और विधायक जगन मूर्ति के कानूनी सलाहकार भी हैं, ने महेश्वरी के साथ मिलकर जयाराम की गाड़ी का इस्तेमाल अपहरण के लिए किया। ये लोग पहले धनुष को पकड़ने गए थे, लेकिन जब वह नहीं मिला, तो उसके भाई इंद्रचंद को उठाकर नज़रेथपेट के एक मोटल में ले जाया गया, जहां कथित रूप से विधायक जगन मूर्ति भी मौजूद थे।
सीसीटीवी फुटेज पुलिस ने जब्त कर लिया है। इसी रात, पुलिस निरीक्षक नरेश के नेतृत्व में तिरुवलंगाडु पुलिस ने इस सरकारी गाड़ी को चेकिंग के दौरान रोका। महेश्वरी ने कथित रूप से नरेश को धमकाया और कहा कि उसके वरिष्ठ अधिकारी ऊपर बात कर लेंगे। उसने उसपर हमला भी किया।
गिरफ्तारी और बचाव की कोशिश
9 जून को, लक्ष्मी की शिकायत पर पुलिस ने विजयस्री के पिता वानराजा, और उनके रिश्तेदार मणिकंदन व गणेश को गिरफ्तार कर पुज़ल जेल भेजा। तीन कारें ज़ब्त की गईं लेकिन सरकारी वाहन को बचा लिया गया, जिससे बड़े अधिकारियों को बचाने की कोशिश का शक पैदा हुआ।
12 जून को, लक्ष्मी ने तिरुत्तानी आपराधिक अदालत में याचिका दी कि वह मामला आपसी सहमति से सुलझाना चाहती हैं और केस वापस लेना चाहती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका बेटा गलती से पुलिस वाहन में गिर गया था और बाद में मिल गया। अदालत ने सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।
उसी दिन, महेश्वरी और सरथ को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में महेश्वरी ने माना कि वह ADGP जयाराम के आदेश पर काम कर रही थी। सरथ ने बताया कि विधायक जगन मूर्ति ने खुद को इस मामले में शामिल होने को कहा था।
14 जून को पुलिस ने विधायक से पूछताछ की कोशिश की, लेकिन उनके समर्थकों ने जांच में बाधा डाली और वह फरार हो गए। 15 जून को लक्ष्मी ने एक वीडियो जारी कर कहा कि वह केस वापस लेना चाहती हैं और जगन मूर्ति की कोई भूमिका नहीं थी।
लेकिन 16 जून को मद्रास हाई कोर्ट में जब जगन मूर्ति ने जांच पर रोक की मांग की, तो राज्य सरकार ने सीसीटीवी साक्ष्यों के आधार पर कहा कि विधायक और ADGP दोनों इस अपहरण से जुड़े हैं। न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने जयाराम को तत्काल गिरफ्तार करने और जगन मूर्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ के आदेश दिए।
आगे की जांच: CB-CID को ट्रांसफर
पुलिस अब तक चार वाहन ज़ब्त कर चुकी है, जिसमें तीन निजी गाड़ियाँ हैं। लेकिन सरकारी जीप (TN06 G 0606) जांच का मुख्य केंद्र बनी हुई है। जयाराम के चालक ने माना है कि उसने यह वाहन ADGP के निर्देश पर इस्तेमाल किया।
अब तक पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई है, वानराजा, मणिकंदन, गणेश, महेश्वरी और सरथ। दो अन्य अभी फरार हैं।
जांच अधिकारी ने पुष्टि की है कि यह सरकारी वाहन का पहला दुरुपयोग नहीं है, जिससे सत्ता के दुरुपयोग की गहराई का संकेत मिलता है।
हाईकोर्ट वकील सरवनन ने कहा, "पुलिस जीप का इस तरह अपहरण में इस्तेमाल केवल छोटी सी झलक है, असली गड़बड़ी इससे कहीं ज़्यादा गहरी है। तमिलनाडु पुलिस को अपने अधिकारियों की वफादारी छोड़कर निष्पक्ष जांच करनी होगी।"
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मामला अब CB-CID को ट्रांसफर किया जा रहा है, जो जटिल मामलों को संभालने के लिए जानी जाती है। मद्रास हाई कोर्ट की अगली सुनवाई 26 जून को होगी।