तमिलनाडु में ऑनर किलिंग पर बनेगा कानून, सीएम स्टालिन ने आयोग के गठन का किया ऐलान

आयोग ऑनर किलिंग से जुड़े मामलों का गहन अध्ययन करेगा, पीड़ित परिवारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करेगा। उसके बाद यह आयोग सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपेगा।

Update: 2025-10-17 13:32 GMT
एमके स्टालिन
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तमिलनाडु में हाल के वर्षों में अंतरजातीय प्रेम संबंधों के कारण युवाओं की निर्मम हत्याओं (ऑनर किलिंग) की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इस चिंताजनक प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने शुक्रवार को एक विशेष राज्य आयोग के गठन की घोषणा की। यह आयोग सेवानिवृत्त न्यायाधीश के.एन. बाशा की अध्यक्षता में कार्य करेगा और इसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल होंगे। आयोग ऑनर किलिंग के खिलाफ एक विशेष कानून का मसौदा तैयार करेगा और राज्य सरकार को जातीय हत्याओं को लेकर जनजागरूकता फैलाने के उपाय भी सुझाएगा।

आयोग ऑनर किलिंग से जुड़े मामलों का गहन अध्ययन करेगा, पीड़ित परिवारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करेगा। उसके बाद यह आयोग सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपेगा। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि हम अपने युवाओं को जाति या पारिवारिक 'सम्मान' के नाम पर मरने नहीं दे सकते। यह सरकार मूक दर्शक बनकर नहीं रहेगी। तमिलनाडु इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए विशेष कानून लाने वाला पहला राज्य बनेगा।

ऑनर किलिंग कानून की मांग की समयरेखा

2015: सीपीआई (एम) नेता ए. सुंदरराजन ने ऑनर किलिंग के खिलाफ निजी विधेयक लाया, लेकिन तत्कालीन एआईएडीएमके सरकार ने इसे खारिज कर दिया।

2022: सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विशेष कानून के लिए मॉडल ड्राफ्ट तैयार कर मुख्यमंत्री स्टालिन को सौंपा।

2024: स्टालिन ने कहा था कि मौजूदा कानून पर्याप्त हैं, जिससे आलोचना हुई।

2025: लगातार दबाव के बाद आयोग के गठन की घोषणा हुई।

हालिया हत्या ने उभारा मुद्दा

तमिलनाडु में हाल ही में एक दलित आईटी प्रोफेशनल कविन की बेरहमी से हत्या कर दी गई। आरोप है कि उसकी गर्लफ्रेंड के भाई ने जातिगत कारणों से हत्या की। इस मामले ने राज्य में फिर से ऑनर किलिंग को लेकर बहस छेड़ दी।

सामाजिक कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया

ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन्स एसोसिएशन (AIDWA) की नेता पी. सुगंथी ने The Federal से बातचीत में कहा कि 2015 में जब सीपीआई(एम) ने यह मुद्दा उठाया था, तब सरकार ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट ही काफी है। लेकिन ऑनर किलिंग की सामाजिक प्रकृति को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। अब जाकर सरकार ने आयोग गठित किया है, यह एक अहम कदम है। उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथी संगठनों जैसे आरएसएस और हिन्दू मुन्नानी ने तमिलनाडु में जातिगत पहचान की राजनीति को बढ़ावा दिया है, जिससे जातिगत वर्चस्व सामान्य होता जा रहा है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन यह आयोग सिर्फ कागज़ों तक सीमित न रहे। इसे ज़मीन पर काम करना होगा, पीड़ितों के परिवारों से बात करनी होगी और ऐसा कानून लाना होगा, जो असली जवाबदेही तय करे।

सीएम का संदेश

मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि आयोग यह भी देखेगा कि समाज में जागरूकता कैसे बढ़ाई जाए, पुलिस को कैसे संवेदनशील बनाया जाए और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या-क्या निवारक कदम उठाए जा सकते हैं।

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