गुजरात के राजकोट में गेमिंग जोन अग्निकांड की जाँच के लिए एसआईटी का गठन

राजकोट के गेमिंग जोन अग्निकांड में मरने वालों की संख्या 30 हुई, 12 बच्चे भी शामिल. बढ़ सकती है मरने वालों की संख्या. बगैर एनओसी के कैसे चल रहा था इतना बड़ा गेमिंग जोन एसआईटी करेगी जाँच

Update: 2024-05-26 04:42 GMT

गेमिंग जोन में लगी आग से धूं धूं कर उठती आग की लपटें और धुआं. तस्वीर में दिख रहा है फाइबर से बना गेमिंग ज़ोन का स्ट्रक्चर, जिसकी वजह से आग बहुत तेजी से भड़की और अंदर फंसे लोग समय रहते बाहर निकल नहीं पाए.

गुजरात के राजकोट में गेमिंग जोन में लगी आग से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 30 हो गयी है. मरने वालों में कम से कम 12 बच्चे भी बताए जा रहे हैं. इस भीषण अग्निकांड के बाद अब ये जानकारी मिल रही है कि इतना बड़ा गेमिंग जोन बगैर फायर की एनओसी या फिर नगर निगम से कोई भी इजाजत लिए बिना ही चल रहा था. शनिवार शाम को लगी आग पर रविवार सुबह होते होते पूरी तरह से काबू पा लिया गया है. इस बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर दुःख जताया और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल से फोन पर बात कर घटना की जानकारी ली. गुजरात सरकार ने पुलिस महानिदेशक की देखरेख में एक एसआईटी का गठन किया है.



राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी जताया दुख 



गुजरात सरकार ने किया मुआवजे का ऐलान

गुजरात सरकार ने इस हादसे पर दुःख व्यक्त करते हुए मुआवजे का एलान किया गया है. सरकार की तरफ से मृतकों के परिजन को 4 लाख रूपये और घयुलों को 50-50 हजार रूपये दिया जायेगा. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राजकोट में हुए इस हादसे पर दुख जताया और कहा कि इस घटना में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति उनकी संवेदना है. ये सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि ऐसी घटना दोबारा न हो.


प्रधानमंत्री मोदी ने भी प्राइम मिनिस्टर फण्ड से 2 लाख रूपये मुआवजा देने की घोषणा की 

प्रधानमंत्री ने रविवार को इस हादसे में मारे गए लोगों के परिवार को 2 लाख रूपये मुआवजा देने का ऐलान किया है. पीएम्ओ द्वारा ट्वीट कर ये जानकारी दी गयी कि हादसे में मारे गए लोगों के परिवार को 2 लाख रूपये का और घायलों को 50 हजार रूपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. ये मदद प्रधानमंत्री राष्ट्रिय रिलीफ फंड की तरफ से दी जाएगी.

शाम 4:30 बजे लगी आग

राजकोट के दमकल विभाग के अनुसार गेम जोन में लगी आग पर लगभग तीन घंटे में काबू पाया गया. टीआरपी गेमिंग जोन में आग शनिवार शाम लगभग 4:30 बजे लगी थी. आग पर काबू पाने में लगभग 3 घंटे का समय लगा, लेकिन कुलिंग ऑपरेशन जारी रहा. फायर विभाग का कहना है कि गेमिंग जोन की जो छत थी, वो फाइबर की चादर से बनी थी, जिसने आग को और तेजी से पकड़ लिया. इतना ही नहीं स्ट्रक्चर का अधिकांश हिस्सा फाइबर से ही तैयार किया गया था. यही वजह भी रही कि ये हादसा इतना बड़ा हो गया, क्योंकि निचे से उठी आग की लपटों ने छत को भी अपनी चपेट में ले लिया. छत भी धूं धूं कर जलने लगी और तो और जलती हुई छत के हिस्से निचे भी गिर रहे थे.

गेमिंग जोन में भारी मात्र में किया गया था पेट्रोल डीजल का भण्डारण

अब तक की पुलिस जाँच में ये सामने आया है कि गेमिंग जोन में चार/बाइक आदि की राइड के लिए पेट्रोल डीजल की आवश्यकता होती थी. यही वजह थी कि गेमिंग जोन में भारी मात्रा में इनका भण्डारण किया गया था. एक अंदाजे के तौर पर एक हजार से डेढ़ हजार लिटर तक का भण्डारण किया गया था. जैसे ही आग लगी तो फाइबर आदि के निर्माण की वजह से तेजी से फ़ैल गयी और वहन तक पहुँच गयी जहाँ पर ज्वलनशील पदार्थ जैसे पेट्रोल डीजल का भण्डारण था. यही वजह भी रही कि आग इस कद्र भड़की की 3 से 4 किलोमीटर तक के दायरे में धुएं के गुबार उठते हुए देखे गए. इतना ही नहीं जिन टैंक में पेट्रोल और डीजल भरा गया था, उनमें विस्फोट भी हुआ.

वीकेंड के चलते चलाया गया था ऑफर, बहुत थी भीड़

अब तक की जाँच में ये भी पता चला है कि शनिवार के चलते गेमिंग जोन में ऑफर चलाया गया था, जिसमें महज 99 रूपये में एंट्री थी. यही वजह भी थी कि बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हुए थे. कई बच्चे भी अपने अभिभावकों के साथ आये हुए थे.

एंट्री एग्जिट के लिए सिर्फ एक ही रास्ता

चास्म्दिदों ने दावा किया है कि इतने बड़े गेमिंग जोन में आने जाने का केवल एक ही रास्ता बनाया हुआ था, वो भी 6 से 7 फीट चौड़ा रहा होगा. यही वजह भी रही कि जब आग लगी तो लोग सही तरह से भाग कर बाहर भी नहीं निकल पाए.

न फायर विभाग से ली थी एनओसी और न ही नगर निगम से ली गयी थी मंजूरी

इतने बड़े हादसे के बाद जागे राजकोट प्रशासन अब खुद को पाक साफ़ दिखाने की कवायद में जुट गया है. सूत्रों की माने तो फायर विभाग का कहना है कि गेमिंग जोन की तरफ से एनओसी के लिए कोई आवेदन नहीं किया गया था. फायर विभाग का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई दस्तावेज नहीं मिला है. इतना ही नहीं ये भी दावा किया गया है कि नगर निगम से भी कोई लाइसेंस या अनुमति नहीं ली गयी थी. फिलहाल जाँच की जा रही है.

गेम जोन के पार्टनर-मैनेजर हिरासत में

राजकोट अग्निकांड के बाद पुलिस ने टीआरपी गेम जोन के मैनेजर नितिन जैन और इसके एक पार्टनर युवराज सिंह सोलंकी को हिरासत में लिया है. इन्हें शनिवार देर रात हिरासत में लिया गया. पुलिस का कहना है कि अब तक की जाँच में पता चला है कि इस गेम जोन के तीन पार्टनर हैं, जिसमें प्रकाश जैन, युवराज सिंह सोलंकी और राहुल राठौड़ शामिल हैं. पुलिस अब इनसे आग लगने की वजह और यहां के दस्तावेजों की जानकारी जुटाने में लगी है.

एसआईटी करेगी राजकोट अग्निकांड की जांच

क्योंकि ये मामला अब काफी बड़ा हो चुका है. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विपक्ष सभी ने इस घटना पर दुःख जताया है. इसलिए गुजरात सरकार भी अब किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करना चाहती है. मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने इस मामले की जाँच के लिए एसआईटी का गठन करने का निर्देश दिया है, जो पुलिस महानिदेशक सुभाष त्रिवेदी की अध्यक्षता में तैयार की जा रही है. एसआईटी में 5 सदस्य रहेंगे.


सिर्फ आग लगने का कारण ही नहीं बल्कि किसकी मिलीभगत से चल रहा था ये लाक्ष्यागृह ये भी पता लगाएगी

सूत्रों का कहना है की एसआईटी का गठन सिर्फ आग लगने के कारणों का पता लगाना ही नहीं है, बल्कि ये भी है कि आखिर नियमों की अनदेखी करते हुए कैसे इतना बड़ा गेमिंग ज़ोन चलाया जा रहा था. ये बड़े ताज्जुब की बात है कि अब इस हादसे के बाद ये दावा किया जा रहा है कि न तो फायर की एनओसी ली गयी थी और न ही नगर निगम से किसी प्रकार की कोई इजाजत. आखिर कैसे ये कैसे हो सकता है कि नगर निगम, फायर विभाग और स्थानीय पुलिस को इतने बड़े गेमिंग ज़ोन चलने की भनक तक न रही हो. 

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